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    नेपाल में अंतरिम पीएम के नाम पर अभी तक नहीं बन पाई सहमति, सेना मुख्यालय के सामने ही भिड़े आंदोलनकारी

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 10:55 PM (IST)

    नेपाल में सुशासन के नारे के साथ शुरू हुआ जेन-जी आंदोलन राजनीतिक संकट की ओर बढ़ रहा है। अंतरिम सरकार बनाने पर सहमति के बाद विभिन्न समूह प्रधानमंत्री के नाम पर एकमत नहीं हैं जिससे गतिरोध उत्पन्न हो गया है। जेन-जी आंदोलन में शामिल दो समूहों के समर्थक आपस में भिड़ गए जिससे सेना मुख्यालय के सामने तनाव हो गया। शुक्रवार को फिर से चर्चा होगी।

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    ओपी शर्मा कोली के इस्तीफे के बाद भी शांत नहीं नेपाल।

    बृजेश दुबे, वीरगंज (नेपाल)। सुशासन और सुधार के नारे साथ शुरू हुए जेन-जी आंदोलन में तीन दिन तक सुलगने वाला नेपाल नए राजनीतिक संकट की तरफ बढ़ता दिख रहा है। सेना के साथ बैठक में अंतरिम सरकार बनाने पर सहमति के बाद जेन-जी आंदोलन के विभिन्न समूह अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम पर एकमत नहीं हो पा रहे हैं। उनमें परस्पर गतिरोध पैदा हो गया है।

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    अंतरिम सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, इस विवाद में गुरुवार शाम जेन-जी आंदोलन में भागीदारी करने वाले दो समूहों के समर्थक आपस में भिड़ गए। इससे सेना मुख्यालय के सामने अफरातफरी मच गई। कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए सेना ने मुख्यालय के सामने का परिसर खाली करा लिया है। इस पर युवाओं ने सेना के विरोध में नारेबाजी भी की।

    फिर होगी पीएम के नाम की चर्चा

    माना जा रहा है कि शुक्रवार को अंतरिम प्रधानमंत्री को लेकर फिर चर्चा होगी। इस बीच, नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। उनका कहना है कि शांति बहाली के प्रयास लोकतांत्रिक मर्यादा के अनुरूप और संविधान के दायरे में हों।

    अब तक सामने आ चुका है इन लोगों का नाम

    बुधवार सुबह नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन की चर्चा के बीच पहले काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह और जेन-जी के संयोजक सुदन गुरुंग का नाम चर्चा में आया। फिर शाम होते होते पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने के लिए सहमति की खबरें आने लगीं। बालेंद्र शाह के समर्थन में एक गुट ने कार्की का विरोध कर दिया, लेकिन शाह की फेसबुक आईडी से कार्की के समर्थन में पोस्ट के बाद माना जा रहा था कि नेपाल का राजनीतिक गतिरोध खत्म होने वाला है।

    इसी बीच धरान के मेयर हरक सांगपांग के नाम को लेकर कुछ युवाओं ने नारेबाजी कर दी। इसके बाद अंतिम फैसले के लिए गुरुवार का दिन तय किया गया। लेकिन, गुरुवार सुबह नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल के साथ भद्रकाली स्थित सेना मुख्यालय में आयोजित बैठक में एक गुट ने सुशीला कार्की की उम्र अधिक बताते हुए उनके नाम पर असहमति जता दी। कुछ और समूह भी सामने आ गए, जिन्होंने वर्तमान संविधान के अनुसार कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का विरोध किया।

    क्या कहता है नेपाल का संविधान

    वर्तमान संविधान के अनुसार अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की मानवाधिकार आयोग में ही नियुक्ति हो सकती है। उनकी किसी भी राजनीतिक पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद कार्की के नाम पर विचार नहीं हुआ। एक समूह बालेंद्र शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने पर अड़ा है, लेकिन सूत्रों के अनुसार शाह ने इस पद को स्वीकार करने से मना कर दिया है और चुनाव के माध्यम से सरकार में आने की इच्छा जताई है।

    बालेंद्र शाह के मना करने के बाद तीसरे समूह ने बिजली बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष कुलमान घीसिंग के नाम का प्रस्ताव दिया। घीसिंग नेपाल की बिजली व्यवस्था में सुधार लाने के लिए लोकप्रिय हैं और अपने ईमानदार स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। एक समूह ने सहमति जताई, लेकिन कुछ अन्य समूहों ने असहमति जता दी। इसके बाद वहां उपस्थित दो समूह नेतृत्वकर्ता के नाम पर भिड़ गए। थोड़ी देर के लिए माहौल तनावपूर्ण हो गया। सेना ने तुरंत स्थिति संभाली और मुख्यालय परिसर खाली करा लिया।----

    श्रेय लेने की होड़, संघर्ष की स्थिति

    काठमांडू में रहने वाले नेपाल मामलों के एक विशेषज्ञ ने कहा कि आंदोलन में सामूहिक नेतृत्व के परिणामस्वरूप श्रेय लेने की होड़ मच गई है। अंतरिम सरकार में भागीदारी के लिए समूह में कई हिस्से होना नेपाल के भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है। इससे संघर्ष की स्थिति बन सकती है।

    इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सोमवार और मंगलवार को हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है। देशभर के अस्पतालों में 1,338 लोग भर्ती हैं, जबकि 949 को पहले ही छुट्टी दी जा चुकी है।

    'जेन-जी' प्रतिनिधियों ने की संसद भंग करने की मांग

    नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे 'जेन-जी' कार्यकर्ताओं ने बातचीत और सहयोग से समाधान खोजने की आवश्यकता पर बल दिया। 'जेन-जी' प्रतिनिधि दिवाकर दंगल, अमित बनिया और जुनल दंगल ने प्रेस से बात की। उन्होंने पुराने राजनीतिक दलों को चेताया कि वे अपने निहित स्वार्थों के लिए उनका इस्तेमाल न करें।

    एक कार्यकर्ता ने कहा, ''यह पूरी तरह से नागरिक आंदोलन है, इसलिए इसमें राजनीति करने की कोशिश न करें।'' दंगल ने कहा, ''हमारे सामने राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता की रक्षा और आत्म-सम्मान बनाए रखने की चुनौती है। हम सभी नेपालियों को इस कठिन परिस्थिति में जनता के कल्याण और हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए।''

    एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि संसद को भंग कर देना चाहिए और लोगों की भावना के अनुसार संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ''हमारा संविधान को खत्म करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि लोगों की ¨चताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ बड़े संशोधन किए जाएं।'' एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि उनका देश का नेतृत्व संभालने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि वे सिर्फ प्रहरी बनना चाहते हैं।

    राष्ट्रपति ने कहा, मौजूदा संकट का समाधान खोजने के प्रयास जारी

    राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने गुरुवार को सभी पक्षों से शांति बनाए रखने में सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि वह संवैधानिक ढांचे के भीतर मौजूदा राजनीतिक हालात का समाधान खोजने का प्रयास कर रहे हैं। मंगलवार को 'जेन-जी' के प्रदर्शनकारी समूहों द्वारा राष्ट्रपति कार्यालय और उनके निजी आवास पर आगजनी के बाद से पौडेल को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया। उसके बाद यह पहली बार है जब उन्होंने देश में मौजूदा उथल-पुथल के बारे में बात की। वह वर्तमान में सैन्य सुरक्षा में हैं।

    पौडेल ने कहा, ''मैं कानून-व्यवस्था बनाए रखने, लोकतंत्र की रक्षा करने और संवैधानिक ढांचे के भीतर मौजूदा राजनीतिक गतिरोध से बाहर निकलने का हरसंभव प्रयास कर रहा हूं। मैं सभी पक्षों से अपील करता हूं कि वे इस बात पर विश्वास रखें कि आंदोलनकारी नागरिकों की मांगों को पूरा करने के लिए समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकाला जा रहा है और संयम के साथ देश में शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।'' सेना के एक प्रवक्ता ने भी पुष्टि की कि विभिन्न पक्षों के साथ बातचीत जारी है। उन्होंने किसी का नाम नहीं बताया।

    जेल में तीन और कैदियों की मौत, अब तक 15,000 से अधिक फरार

    नेपाल में गुरुवार को मधेस प्रांत के रामेछाप जिला जेल में कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प में तीन कैदियों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए। ताजा घटनाक्रम के साथ मंगलवार से अब तक सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में मरने वाले कैदियों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। वहीं, अब तक करीब दो दर्जन जेलों से 15,000 से अधिक कैदी फरार हो चुके हैं।

    'द काठमांडू पोस्ट' ने पुलिस के हवाले से बताया कि केवल कुछ ही कैदी स्वेच्छा से लौटे हैं या फिर गिरफ्तार किए गए हैं। गंडकी प्रांत के कास्की जिला कारागार के जेलर राजेंद्र शर्मा ने बताया कि भागने वाले कैदियों में 13 भारतीय नागरिक और चार अन्य विदेशी शामिल हैं। जेल महानिदेशक लीला प्रसाद शर्मा ने कहा कि फरार कैदियों को फिर गिरफ्तार करने के लिए सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

    काठमांडू समेत तीन जिलों में कर्फ्यू बढ़ा

    नेपाल सेना ने काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर जिलों में निषेधाज्ञा और कफ्र्यू शुक्रवार सुबह छह बजे तक बढ़ा दिया है। सेना ने नागरिकों की कठिनाइयों को कम करने के लिए दैनिक आवश्यकताओं की दुकानें गुरुवार सुबह 6 से 9 बजे तक और शाम 5 से 7 बजे तक खुली रखने की अनुमति दी थी।

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