Nepal Earthquake 2015: नेपाल में आया था भीषण भूकंप, करीब नौ हजार लोगों की हुई थी दर्दनाक मौत
पश्चिमी नेपाल के कई हिस्सों में मंगलवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। एक घंटे के अंदर आए तीन भूकंप के झटकों ने एक बार फिर से साल 2015 की उस घटना को ताजा कर दिया। 25 अप्रैल 2015 को नेपाली समय के मुताबिक 1156 बजे रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था जिसमें 8964 लोगों की मौत हो गई थीजबकि 21952 लोग घायल हुए थे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिमी नेपाल के कई हिस्सों में मंगलवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। एक घंटे के अंदर आए तीन भूकंप के झटकों ने एक बार फिर से साल 2015 की उस घटना को ताजा कर दिया, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई थी और इतनी ही संख्या में लोग घायल हुए थे। इस भूकंप को गोरखा भूकंप के नाम से भी जाना जाता है।
2015 भूकंप में मरे थे करीब नौ हजार लोग
25 अप्रैल 2015 को नेपाली समय के मुताबिक, 11:56 बजे रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 8,964 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 21,952 लोग घायल हुए थे। नेपाल में आया यह भूकंप साल 2015 का सबसे भीषण प्राकृतिक आपदा साबित हुआ था। इस दौरान 800,000 से अधिक घरों और स्कूल भवनों को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा था।

पड़ोसी देशों पर भी पड़ा था असर
साल 1934 के बाद पहली बार नेपाल में आए इस शक्तिशाली भूकंप के कारण कई महत्त्वपूर्ण प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर व अन्य इमारतें भी नष्ट हो गईं। भूकंप का झटका इतना शक्तिशाली था कि इसका असर पड़ोसी देश चीन, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी महसूस किए गए थे। वहीं, इस भूकंप के कारण चीन, भारत और बांग्लादेश में भी लगभग 250 लोगों की मौत हुई थी।
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सदियों पुरानी कई इमारतें हुई थी नष्ट
मालूम हो कि भूकंप का केंद्र राजधानी काठमांडू से करीब 85 किमी उत्तर-पश्चिम और 8.2 किमी की गहराई पर गोरखा जिले में था। वहीं, इस भूकंप के कारण काठमांडू में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल कई पुरानी इमारतों को क्षति पहुंचा था। वहीं, नष्ट होने वाले इमारतों में काठमांडू दरबार स्क्वायर, पाटन दरबार स्क्वायर, भक्तपुर दरबार स्क्वायर, चांगु नारायण मंदिर, बौद्धनाथ स्तूप और स्वयंभूनाथ स्तूप शामिल हैं।
एक-चौथाई से अधिक आबादी पर पड़ा था भूकंप का असर
नेपाल में 25 अप्रैल को आई भूकंप ने लोगों को उस समय सकते में डाल दिया, जब वह सो कर उठे ही थे। देश में सुबह-सुबह आई भूकंप के बाद इससे मरने वालों की संख्या कुछ सैकड़ों में दर्ज की गई थी। हालांकि, जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया मौत का आंकड़ा बढ़ता गया और दिन के अंत तक यह आंकड़ा बढ़कर 1,900 के करीब पहुंच गई। वहीं, बचाव दल भी राहत और बचाव कार्य के लिए दूर-दराज के गांवों तक पहुंच गए, जब इसका सटीक आंकड़ा सामने आया तो संख्या करीब नौ हजार के करीब पहुंच गई थी। भूकंप के कारण करीब तीन लाख लोग विस्थापित हुए थे। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक रिपोर्ट में बताया था कि इसके कारण नेपाल की एक-चौथाई से अधिक आबादी करीब 80 लाख लोग सीधे प्रभावित हुए थे।
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नेपाल ने लगाया था अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार
देश के कई हिस्सों में एकाएक आए कई भूकंपों के कारण नेपाल की सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर दी, जिसके तुरंत बाद नेपाली सेना राहत और बचाव कार्य में जुट गई। वहीं, नेपाल ने इस भूकंप में लोगों की राहत के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी मदद की गुहार लगाई थी, जिसमें भारत ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
भारत ने लॉन्च किया था ऑपरेशन मैत्री
भारत ने नेपाल में लोगों को बचाने के लिए बचाव और राहत अभियान के तहत ऑपरेशन मैत्री लॉन्च किया था, जिसके तहत भारतीय सेना ने भीषण भूकंप से प्रभावित पड़ोसी देश को अपनी मदद देनी शुरू कर दी। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी सहित कुल 170 विदेशी नागरिकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाला था, जबकि 5,000 से अधिक भारतीयों को नेपाल से वापस भारत लाया गया था।

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