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    Sri Lanka Crisis: लगभग आधे श्रीलंकाई बच्चों को है सहायता की जरूरत, यूनिसेफ ने मदद के लिए की 2.5 करोड़ अमरीकी डालर की अपील

    By Ashisha RajputEdited By:
    Updated: Sat, 11 Jun 2022 03:43 PM (IST)

    Sri Lanka Crisis श्रीलंका आजादी के बाद अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश राजनीतिक और आर्थिक संकट से लड़ रहा है। ऐसे में देश के लगभग आधे बच्चों को ...और पढ़ें

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    यूनिसेफ ने इस बात की जानकारी देते हुए बच्चों के लिए सहायता की मांग की-

    कोलंबो, एएनआइ। श्रीलंका एक बड़े संकट का समाना कर रहा है, देश के लोगों का दैनिक जीवन एक बड़ा संघर्ष बन गया है। ऐसे में देश के लगभग आधे बच्चों को मानवीय सहायता की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( यूनिसेफ ) ने इस बात की जानकारी देते हुए बच्चों के लिए सहायता की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र ने अगले चार महीनों के भीतर सबसे कमजोर आबादी की तत्काल आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए एक अपील शुरू की है।

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    यूनिसेफ की अपील

    मुश्किलों में घिरे श्रीलंकाई बच्चों के लिए यूनिसेफ आगे आया है, जिनकी मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने 2.5 करोड़ अमरीकी डालर की अपील की है। अगले सात महीनों में बच्चों की बढ़ती जरूरतों की प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए, यूनिसेफ ने इस धन राशि की मांग की है, जिससे 1.7 मिलियन कमजोर श्रीलंकाई बच्चों को जीवन बचाने और पोषण, स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षित पेयजल, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें।

    श्रीलंका में यूनिसेफ के प्रतिनिधि क्रिश्चियन स्कोग ने कहा-

    श्रीलंका में बच्चों के बिगड़ते हालातों पर यूनिसेफ के प्रतिनिधि क्रिश्चियन स्कोग ने कहा, 'मौजूदा संकट श्रीलंका में परिवारों को उनकी आखरी सीमा तक ला दिया है । बच्चे व्यथित और खाली पेट बिस्तर पर जा रहे हैं। बहुत से बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं जा रहे हैं, और अस्पतालों में बच्चों और गर्भवती महिलाओं सहित दवाओं की तेजी से कमी हो रही है। अगर हम अभी कार्रवाई नहीं करते हैं, तो कमजोर लड़के हैं और लड़कियां देश के इस बड़े संकट की सबसे अधिक कीमत चुकाएंगे।'

    आपको बता दें कि वर्तमान में श्रीलंका की जो स्थिति बनी हुई है, उससे पहले भी श्रीलंका में दक्षिण एशिया में बाल कुपोषण की दर दूसरे स्थान पर थी और 5 में से 2 शिशुओं को न्यूनतम स्वीकार्य आहार नहीं मिल पता था। देश में आर्थिक संकट के कारण खाद्य कीमते प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। 70 प्रतिशत परिवार अब भोजन की कम खपत की रिपोर्ट कर रहे हैं।