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    म्यांमार की सेना ने एक साल बाद विद्रोहियों से छीना क्याउकमे शहर, पिछले साल अगस्त से टीएनएलए ने कर लिया था कब्जा

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Fri, 03 Oct 2025 03:05 AM (IST)

    म्यांमार की सेना ने शान राज्य के क्याउकमे शहर पर एक साल से अधिक समय बाद नियंत्रण वापस ले लिया है। इस शहर पर सशस्त्र जातीय अल्पसंख्यक विद्रोही समूह ने कब्जा कर लिया था। क्याउकमे मांडले से लगभग 115 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। सरकारी मीडिया ने गुरुवार को बताया कि सेना ने तीन सप्ताह के आपरेशन के बाद बुधवार को क्याउकमे पर कब्जा किया।

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    म्यांमार की सेना ने एक साल बाद विद्रोहियों से छीना क्याउकमे शहर (फाइल फोटो)

     एपी, बैंकाक। म्यांमार की सेना ने शान राज्य के क्याउकमे शहर पर एक साल से अधिक समय बाद नियंत्रण वापस ले लिया है। इस शहर पर सशस्त्र जातीय अल्पसंख्यक विद्रोही समूह ने कब्जा कर लिया था। क्याउकमे मांडले से लगभग 115 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है।

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    सरकारी मीडिया ने गुरुवार को बताया कि सेना ने तीन सप्ताह के आपरेशन के बाद बुधवार को क्याउकमे पर कब्जा किया। क्याउकमे म्यांमार को चीन से जोड़ने वाले प्रमुख राजमार्ग व्यापार मार्ग पर स्थित है। पिछले साल अगस्त से यह तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (टीएनएलए) के नियंत्रण में था, जो जातीय सशस्त्र समूहों के गठबंधन का सदस्य है।

    सरकारी समाचार पत्र म्यांमार एलिन की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना ने क्याउकमे पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। टीएनएलए ने बुधवार को सेना पर क्याउकमे में हवाई हमलों और भारी हथियारों से हमला करने, सरकारी भवनों को आग लगाने और निकटवर्ती गांवों में तीव्र लड़ाई को भड़काने का आरोप लगाया था।

    थ्री ब्रदरहुड एलायंस के सदस्य, जिनमें टीएनएलए, म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी या एमएनडीएए और अराकान आर्मी भी शामिल हैं, म्यांमार की केंद्रीय सरकार से अधिक स्वायत्तता के लिए दशकों से लड़ रहे हैं।

    रोहिंग्या मुस्लिमों ने म्यांमार में हत्याएं रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र से लगाई गुहार संयुक्त राष्ट्र

    रोहिंग्या मुस्लिमों ने जातीय अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर संयुक्त राष्ट्र की पहली उच्च स्तरीय बैठक में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से म्यांमार में हो रहे सामूहिक नरसंहारों को रोकने में मदद करने की अपील की।

    वूमैन पीस नेटवर्क-म्यांमार की कार्यकारी निदेशक वाईवाई नू ने महासभा में कहा, म्यांमार में रोहिंग्या और अन्य अल्पसंख्यक दशकों से विस्थापन, उत्पीड़न और ¨हसा झेल रहे हैं। वे नरसंहार के शिकार हैं। इस मुद्दे पर चर्चा के बाद महासभा की अध्यक्ष अन्नालेना बैरबाक ने कार्रवाई का वादा किया।

    उन्होंने कहा, यह बस एक शुरुआत है, हमें और भी बहुत कुछ करना है। गौरतलब है कि बौद्ध बहुल म्यांमार लंबे समय से रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश से आए ''बंगाली'' मानता रहा है, जबकि उनके परिवार पीढि़यों से देश में रह रहे हैं। 1982 से लगभग सभी को नागरिकता देने से इन्कार किया जा रहा है।