नेपाल में प्रधान न्यायाधीश राणा के खिलाफ सांसदों ने सौंपा महाभियोग का प्रस्ताव
नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों ने भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर रविवार को देश के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर जेबी राणा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सौंपा। संसद सचिवालय के प्रवक्ता राजनाथ पांडे ने कहा कि दिन के 11 बजे महाभियोग का प्रस्ताव सौंपा गया।

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों ने भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर रविवार को देश के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर जेबी राणा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सौंपा। संसद सचिवालय के प्रवक्ता राजनाथ पांडे ने कहा कि दिन के 11 बजे महाभियोग का प्रस्ताव सौंपा गया। प्रस्ताव दर्ज होने के बाद राणा को निलंबित कर दिया गया है।
वरिष्ठ न्यायाधीश दीप कुमार कार्की को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया
राणा दो जनवरी, 2019 को प्रधान न्यायाधीश बने थे। प्रस्ताव में प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ 21 आरोप लगाए गए हैं। नेपाल में महाभियोग प्रस्ताव दर्ज होने के साथ ही प्रधान न्यायाधीश के स्वत: निलंबन का प्रविधान है। वरिष्ठ न्यायाधीश दीप कुमार कार्की को सुप्रीम कोर्ट का कार्यवाहक प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। प्रतिनिधि सभा के सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित हो जाने पर प्रधान न्यायाधीश को पद मुक्त कर दिया जाएगा।
कानून एवं न्याय मंत्री दिलेंद्र प्रसाद बडू, नेपाली कांग्रेस के सचेतक पुष्पा भुसाल, सीपीएन-माओवादी सेंटर के सचेतक देव गुरुंग सहित सत्तारूढ़ गठबंधन के कुल 98 सांसदों ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। गुरुंग ने कहा कि अदालत ठीक से काम नहीं कर रही थी और प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे।
रिश्तेदार के मंत्री पर शुरू हुआ विवाद
नेपाल बार संघ द्वारा तीन महीने से ज्यादा समय तक चले प्रदर्शन के आलोक में महाभियोग प्रस्ताव सौंपा गया है। देउबा मंत्रिमंडल में प्रधान न्यायाधीश के एक रिश्तेदार के मंत्री बनने के बाद बार संघ ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। विवाद शुरू होने के बाद उनके रिश्तेदार ने अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया था।
सुशीला कार्की के खिलाफ भी लाया गया था महाभियोग
इससे पहले 2017 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। देश की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश उसके बाद निलंबित हो गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के बाद वह अपने पद पर पुन: बहाल हो गई थीं। इसके कुछ महीने बाद वह सेवानिवृत्त हो गई।
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