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    Bill Gates Controversy: क्या भारत को प्रयोगशाला मानते हैं बिल गेट्स? पॉडकास्ट में कही ऐसी बात; भड़के लोग

    बिल गेट्स ने एक हालिया पॉडकास्ट में भारत को प्रयोगशाला की तरह बताया है। उन्होंने कहा कि भारत में कई तरह के प्रयोग किए जा सकते है। गेट्स का ये पॉडकास्ट लिंक्डइन के को-फाउंडर रीड हॉफमैन के साथ रिलीज हुआ था। इस टिप्पणी के बाद से ही सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स का गुस्सा भड़क गया और लोगों ने उन्हें 2009 की याद दिलाई।

    By Jagran News Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Tue, 03 Dec 2024 01:09 PM (IST)
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    बिल गेट्स की टिप्पणी पर भड़के भारतीय (फोटो: एएनआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स एक नए विवाद में घिर गए हैं। लिंक्डइन के को-फाउंडर रीड हॉफमैन के साथ एक पॉडकास्ट में उन्होंने भारत को प्रयोगशाला की तरह बताया। उनके इस बयान के बाद से ही सोशल मीडिया पर लोग भड़क गए हैं।

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    बिल गेट्स ने क्या कहा?

    एक पॉडकास्ट के दौरान बिल गेट्स ने कहा कि 'भारत उन देशों के लिए एक उदाहरण है, जहां कई सारी समस्याएं हैं, लेकिन बावजूद इसके वह स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। इन समस्याओं के बावजूद भारत में सरकार को भरपूर राजस्व मिल रहा है।'

    बिल गेट्स ने कहा कि '20 साल बाद लोग भारत की परिस्थिति देखकर चौंक जाएंगे। यह एक प्रयोगशाला की तरह है, जहां आप अलग-अलग प्रयासों पर काम कर सकते हैं और जब यह प्रयास सफल हो जाते हैं, तो उन्हें दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी ले जाया जा सकता है।'

    फोटो: बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन

    सोशल मीडिया पर भड़के लोग

    बिल गेट्स का यह वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया। लोगों ने भारत को प्रयोगशाला बताए जाने पर नाराजगी जाहिर की। इसके बाद से 2009 में बिल गेट्स के फाउंडेशन द्वारा भारत में किए गए वैक्सीन ट्रायल को लेकर चर्चा भी शुरू हो गई।

    क्या हुआ था 2009 में?

    दरअसल 2009 में एक एनजीओ PATH द्वारा आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के साथ मिलकर सर्वाइकल कैंसर के लिए बनी वैक्सीन का भारत में ट्रायल किया गया था। ये एनजीओ गेट्स फाउंडेशन द्वारा फंडेड था।

    ट्रायल के दौरान तेलंगाना और गुजरात के करीब 14 हजार आदिवासी स्कूली छात्राओं को वैक्सीन लगाई गई। लेकिन वैक्सीन लगने के कुछ महीनों बाद ही छात्राओं में इसके गंभीर साइड इफेक्ट देखने को मिले और 7 लोगों की मौत भी हो गई।

    एनजीओ ने झाड़ लिया था पल्ला

    आरोप लगा कि छात्राओं का कंसेंट फॉर्म बिना उनके परिजनों की अनुमति के हॉस्टल वार्डन द्वारा साइन कर दिया गया था। इसके बाद काफी बवाल मचा था, लेकिन PATH ने ऐसी किसी भी संभावना से साफ तौर पर इंकार कर दिया और मौतों की वजह संक्रमण और आत्महत्या बताया था।

    लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा- 'किसे मालूम कि ऐसे कितने ही ट्रायल गेट्स फंडेड एनजीओ द्वारा भारत और अफ्रीका में किए जा रहे हों। ये दिखाता है कि कितनी आसानी से वह हमारे महकमे और नीतियों में पकड़ बना लेते हैं और फिर हमें गिनी पिग की तरह खुलेआम इस्तेमाल करते हैं।'