बुर्किना फासो में नरसंहार, सेना ने पीठ पर बच्चों को ले जा रही महिलाओं को भी नहीं बख्शा; हालात बद से बदतर
बुर्किना फासो में हालात बद से बदतर हो गए हैं। सेना लोगों को जान से मार रही है। उसने पीठ पर बच्चों को ले जा रही महिलाओं को भी नहीं बख्शा। जनता में डर का माहौल है कि अगला नंबर कहीं उनका न हो।
डकार (सेनेगल), एपी। बुर्किना फासो में अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट समूह से जुड़े जिहादी लड़ाकों ने सात साल से हिंसक विद्रोह छेड़ रखा है। इस दौरान उन्होंने हजारों लोगों को मार डाला और देश को विभाजित कर दिया, जिससे पिछले साल दो तख्तापलट हुए।
तख्तापलट के बाद बढ़ीं हत्या की घटनाएं
लोगों के मुताबिक, सितंबर 2022 में जब दूसरा तख्तापलट हुआ और कैप्टन इब्राहिम त्रोरे ने सत्ता पर कब्जा किया, तब से लोगों की गैर-न्यायिक हत्याएं बढ़ गई हैं। इस महीने बुर्किना फासो की सरकार ने सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकारों के हनन के आरोपों की जांच शुरू कराने की घोषणा की थी। उसने यह घोषणा एक वीडियो सामने आने के बाद की, जिसमें सात बच्चों को मरते हुए दिखाया गया था।
सुरक्षा बलों ने बच्चों को भी नहीं बख्शा
एसोसिएटेड प्रेस की जांच में यह बात सामने आई कि बुर्किना फासो के सुरक्षा बलों ने औआहिगौया शहर के बाहर एक सैन्य अड्डे में बच्चों को मार डाला। ग्रामीणों के अनुसार, पिछले हफ्ते के हमले से कुछ दिन पहले ओआहिगौया के पास करीब 40 सुरक्षा सूत्र मारे गए थे। बचे हुए लोगों ने कहा कि सैनिकों ने उन पर जिहादी सहयोगी होने का आरोप लगाया है।
सेना ने लोगों को गांव में जाने से रोका
लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि सेना ने उन्हें गांव जाने से रोक दिया है, जिससे वे अपने रिश्तेदारों को दफना नहीं पा रहे हैं। संघर्ष विश्लेषकों का कहना है कि सेना का यह दुर्व्यवहार लोगों को जिहादियों के हाथ में ले जाएगी।
बुर्किना फासो में हालात बद से बदतर
बता दें, बुर्किना फासो में हालात बद से बदतर हैं। यहां नरसंहार किया जा रहा है। सेना लोगों को जान से मार रही है। महिलाओं को भी नहीं बख्शा जा रहा है। महिलाओं को अपनी पीठ पर बच्चों को ले जाने के दौरान मार डाला गया। लोगों में डर का माहौल है कि अगला नंबर कहीं उनका न हो।
जनता पर जुल्म ढा रहे सुरक्षा बल
कर्मा गांव के लोगों के मुताबिक, देश के उत्तर में बुर्किना फासो के सुरक्षा बल जनता पर काफी जुल्म ढा रहे हैं। यतेंगा प्रात के एक गांव में गुरुवार की सुबह मोटसाइकिल और बख्तरबंद पिकअप ट्रकों से आए हथियार बंद समूह ने लोगों को मार डाला। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ लोग सैनिकों को देखकर खुश हुए। वे उनका स्वागत करने के लिए घरों से बाहर आए, लेकिन उनकी यह खुशी तब कम हो गई, जब पहली गोली चली और एक व्यक्ति की मौत हो गई।
मरने वालों की संख्या अनुमानित संख्या के आधे से भी कम
बुर्किना फासो के अभियोजक ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा कि उसने हत्याओं की जांच पहले ही शुरू कर दी है। मरने वालों की संख्या 60 बताई गई है, जो संयुक्त राष्ट्र और स्थानीय लोगों द्वारा अनुमानित संख्या के आधे से भी कम है।
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