Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विवादों में घिरीं मारिया कोरिना मचाडो, क्यों हो रही नोबेल पुरस्कार वापस लेने की मांग?

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 03:13 PM (IST)

    Maria Corina Machado: मारिया कोरिना माचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2025) मिला है, जिसे वेनेजुएला में लोकतंत्र को बढ़ावा देने और तानाशाही के खिलाफ उनके संघर्ष के लिए दिया गया है। हालांकि, गाजा पर इजरायली बमबारी का समर्थन करने और अपनी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विदेशी ताकतों की मदद मांगने के कारण मारिया विवादों में घिर गई हैं।

    Hero Image

    वेनेजुएला की मारिया कोरिना माचाडो को मिला नोबल शांति पुरस्कार 2025। फोटो - पीटीआई

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वेनेजुएला की मारिया कोरिना माचाडो को नोबल शांति पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। हालांकि, नोबल पीस प्राइज के एलान के बाद से ही मारिया का नाम विवादों में घिर गया है। मारिया इजरायल के द्वारा गाजा पर बमबारी की बड़ी समर्थक मानी जाती हैं। साथ ही मारिया अपने खुद के देश में सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विदेशी ताकतों की मदद लेने से भी नहीं कतराती हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वेनेजुएला की विपक्षी पार्टी का जाना-माना चेहरा मानी जाने वाली मारिया प्रो-डेमोक्रेसी मूवमेंट में भी अहम रोल निभा चुकी हैं। बीते दिन नोबल समिति ने शांति पुरस्कार के लिए मारिया के नाम की घोषणा की थी। नोबल समिति के अनुसार, लोकतंत्र को बढ़ावा देने और वेनेजुएला में तानाशाही के खिलाफ डटकर खड़े रहने के लिए मारिया को यह पुरस्कार दिया जाएगा।

    Maria Corina Machado (1)

    मारिया को क्यों मिला नोबल पुरस्कार?

    मारिया को नोबल मिलने के बाद व्हाइट हाउस ने इस फैसले की आलोचना करते हुए राजनीति को शांति से ऊपर रखने का आरोप लगाया। हालांकि, बाद में मारिया ने इस नोबल को डोनल्ड ट्रंप को समर्पित कर दिया, जिसके बाद ट्रंप ने कहा कि वो मारिया के लिए बहुत खुश हैं।

    नोबल समिति ने मारिया के नाम का एलान करते हुए कहा-

    पिछले कुछ सालों में मारिया को छिपकर रहना पड़ा। उनकी जान को खतरा था, फिर भी वो देश छोड़कर नहीं गईं। वेनेजुएला में रहना उनका फैसला था, जिससे कई लोगों को प्रेरणा मिली। जब तानाशाही ने सत्ता पर कब्जा कर लेते हैं, तो स्वतंत्रता के लिए लड़ने और सत्ता का विरोध करने वाले लोगों को पहचानना जरूरी होता है।

    मारिया की हो रही आलोचना

    हालांकि, नोबल समिति के इस फैसले की कई लोग आलोचना कर रहे हैं। इसके पीछे कई बड़ी वजहें मौजूद हैं। दरअसल मारिया इजरायल की कट्टर समर्थक हैं। मारिया कई बार गाजा पर इजरायली हमले को सही ठहराती रही हैं। इसके कई उदाहरण उनकी पुरानी सोशल मीडिया पोस्ट में देखे जा सकते हैं।

    Nobel Maria

    2 साल पहले अपनी एक पोस्ट में मारिया ने लिखा था कि "वेनेजुएला का संघर्ष भी इजरायल की तरह है।" मारिया ने यहां तक कहा था कि अगर वो सत्ता में आईं तो इजरायल की आजादी में पूरी मदद करेंगी।

    अमेरिका बेस्ड मुस्लिम अधिकारों के लिए बने संगठन काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन ने नोबल समित को अपने फैसले पर फिर से विचार करने का सुझाव दिया है। संगठन का कहना है, "नोबल समिति को एक बार फिर से सोचना चाहिए। मारिया को यह पुरस्कार देने से नोबल की छवि को गहरा झटका लग सकता है।"

    इसके अलावा मारिया अपने ही देश में सत्ता परिवर्तन के लिए विदेशी ताकतों की मदद मांग चुकी हैं। 2018 में उन्होंने इजरायल और अर्जेंटीना को खत लिखकर वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को पद से हटाने की अपील की थी।

    यह भी पढ़ें- 'मैनें ये नहीं कहा इसे मुझे दे दो', मारिया कोरिना को नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद आया ट्रंप का रिएक्शन