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    कोरोना से भी तेज फैलता है 'मारबर्ग वायरस', घाना में दी दस्‍तक; WHO हुआ सतर्क

    मारबर्ग वायरस बड़ी तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में लेता है। घाना में इस वायरस के दो संदिग्‍ध मामले सामने आए हैं जिसके बाद विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन सतर्क हो गया है। मारबर्ग वायरस की अभी तक कोई वैक्‍सीन भी नहीं आई है।

    By TilakrajEdited By: Updated: Fri, 08 Jul 2022 03:49 PM (IST)
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    मारबर्ग संक्रमण, इबोला वायरस से कहीं तेजी से फैलकर लोगों को अपनी गिरफ्त में लेता है

    अक्‍करा, एजेंसी। कोरोना वायरस संक्रमण से दुनिया अभी जूझ रही है, कई देशों में मामले बढ़ रहे हैं। इस बीच एक नया वायरस सामने आया है, जो काफी खतरनाक बताया जा रहा है। इस वायरस का नाम है, मारबर्ग। पश्चिमी अफ्रीकी देश घाना में मारबर्ग के 2 संदिग्‍ध मामले सामने आए हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) भी इस नए वायरस को लेकर सतर्क हो गया है। हालांकि, मारबर्ग वायरस की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन ये वायरस काफी तेजी से फैलता है।

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    मारबर्ग संक्रमण, इबोला वायरस से कहीं तेजी से फैलकर लोगों को अपनी गिरफ्त में लेता है। इसलिए चिंता काफी बढ़ गई है। घाना के डॉक्‍टर्स ने 2 संदिग्‍ध सैंपल सौंपे हैं। अगर इनकी पुष्टि मारबर्ग संक्रमण के रूप में हो जाती है, तो यह घाना का पहला मामला होगा। न्‍यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, घाना के नोगुची मेमोरियल इंस्‍टीट्यूट फार रिसर्च ने 2 लोगों के नमूने लिए हैं। इन नमूनों की जांच में दोनों मारबर्ग से संक्रमित पाए गए हैं।

    नोगुची मेमोरियल इंस्‍टीट्यूट फार रिसर्च ने ये दोनों नूमने डब्‍ल्‍यूएचओ को सौंपे हैं, ताकि मारबर्ग संक्रमण की आधिकारिक पुष्टि हो सके। घाना के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दोनों मरीजों में दस्त, उल्टी, बुखार और घबराहट के लक्षण दिखाई दिए। बता दें कि मारबर्ग से संक्रमित होने पर भी यही लक्षण सामने आते हैं। संक्रमित होने के एक सप्‍ताह बाद मरीज को ब्‍लीडिंग होने लगती है। इसके बाद बचना बेहद मुश्किल होता है।

    डब्‍ल्‍यूएचओ ने बताया कि 1967 से अब तक दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका में मारबर्ग संक्रमण का प्रकोप कई बार देखा जा चुका है। ये वायरस कितनी तेजी से फैलता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संक्रमितों के मृत्‍यु की दर 24 फीसद से 88 प्रतिशत तक रही है। मृत्‍यु दर स्‍ट्रेन की क्षमता और मरीजों की देख-रेख के लिए उठाए गए कदम पर निर्भर करता है। वैसे बता दें कि मारबर्ग वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई वैक्‍सीन उपलब्‍ध नहीं है।