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    बौद्ध से कैसे इस्लामी देश बना मालदीव? पढ़िए 900 साल पुरानी वो कहानी जब राजा धोवेमी बन गए सुल्तान मुहम्मद

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 04:46 PM (IST)

    मालदीव ने रबी उल आखिर की दूसरी तारीख को इस्लाम धर्म अपनाने की 896वीं वर्षगांठ मनाई। 12वीं सदी में अबू अल-बरकत यूसुफ अल-बरबरी ने राजा धोवेमी को इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया जिसके बाद वे सुल्तान मुहम्मद अल-आदिल के नाम से जाने गए। इस्लामी शासन के बाद शरिया कानून को न्यायिक ढांचे में शामिल किया गया।

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    मालदीव में इस्लाम धर्म की 896वीं वर्षगांठ (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रबी उल आखिर की दूसरी तारीख के अवसर पर मालदीव में इस्लाम धर्म अपनाने की 896वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। मालदीव का यह धार्मिक परिवर्तन सिर्फ एक धार्मिक बदलाव नहीं था, बल्कि इसने देश की संस्कृति, परंपराओं और शासन प्रणाली को भी गहराई से प्रभावित किया।

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    आइए जानते हैं कि कैसे मालदीव ने इस्लाम को अपनाया और कैसे यह उसकी पहचान का हिस्सा बन गया...

    मालदीव में इस्लाम धर्म से पहले बौद्ध धर्म मानने वालों की संख्या काफी ज्यादा थी, इसलिए वहां पर बौद्ध धर्म का प्रचलन था। माना जाता है कि मालदीव में बौद्ध धर्म तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में आया था।

    मालदीव के कई द्वीपों पर आज भी बौद्ध स्तूप और मठ के अवशेष मिलते हैं, जो उस समय की धार्मिक मान्यताओं की झलक दर्शाते हैं। 12वीं सदी में एक विद्वान और इस्लाम प्रचारक अबू अल-बरकत यूसुफ अल-बरबरी मालदीव पहुंचे थे।

    मालदीव में कैसे आया इस्लाम?

    कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, अल-बरबरी उत्तरी अफ्रीका के रहने वाले थे, जबकि अन्य मानते हैं कि वे वर्तमान सोमालिया या ईरान से हो सकते हैं। उन्होंने उस समय के राजा धोवेमी को इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया, जो बाद में सुल्तान मुहम्मद अल-आदिल के नाम से जाने गए।

    इस्लाम को अपनाने के बाद मालदीव की संस्कृति, परंपराएं और शासन व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया। धार्मिक शिक्षा समाज में गहराई से जुड़ गई जिससे जीवनशैली से लेकर स्थापत्य कला तक पर असर पड़ा।

    मालदीव ने अपनाया शरिया कानून

    इस्लामी शासन आने के बाद शरिया कानून को मालदीव के न्यायिक और प्रशासनिक ढांचे में शामिल किया गया। कई सदियों तक मालदीव एक इस्लामी सल्तनत रहा। हालांकि, 1968 में यह एक गणराज्य बना, लेकिन इस्लाम आज भी देश के संविधान और शासन की नींव है।

    आज मालदीव एक इस्लामी राष्ट्र है, जहां इस्लाम को राज्य धर्म का दर्जा प्राप्त है। मस्जिदें समाज का अहम हिस्सा हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में धार्मिक परंपराएं प्रमुख भूमिका निभाती है।

    मुस्लिम पर्यटकों का पसंदीदा बना मालदीव

    • हाल के वर्षों में मालदीव ने धार्मिक कट्टरता और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा जैसी चुनौतियों का सामना किया है।
    • सरकार संतुलित और परंपरा आधारित इस्लामिक जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है।
    • मालदीव अब मुस्लिम पर्यटकों के लिए सबसे बेहतरीन हलाल फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है।
    • यहां प्राइवेट फैमिली विला, महिला-विशेष स्पा, गैर-मद्य पेय और नमाज की सुविधाएं जैसे विकल्पों के साथ मुस्लिम यात्रियों को आराम और धार्मिक पालन दोनों मिलते हैं।

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