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    Narges Mohammadi: 13 बार जेल, 31 साल कैद; अभी भी सलाखों के पीछे बंद नरगिस मोहम्‍मदी को नोबेल शांति पुरस्‍कार

    By AgencyEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Fri, 06 Oct 2023 05:23 PM (IST)

    ईरान में महिलाओं के दमन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता न‍रगिस मोहम्‍मदी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नरगिस मोहम्मदी यह कोई नाम नहीं बल्कि मानवता सांत्वना और मजबूत नेतृत्व की पर्याय हैं। नरगिस ईरान की महिलाओं को सशक्त करने और उनके अधिकारों के लिए मजबूती से लड़ीं। नरगिस मोहम्मदी ईरान में प्रतिबंधित एक मानवाधिकार केंद्र की उपाध्यक्ष थीं।

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    नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित नरगिस मोहम्मदी

    एपी, ओस्लो। ईरान में महिलाओं के दमन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता न‍रगिस मोहम्‍मदी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। नरगिस मोहम्मदी हमेशा महिलाओं के अधिकार, लोकतंत्र सहित कई मुद्दों पर सक्रियता से अभियान चलाती रही हैं और इसकी वजह से उन्हें कई बार गिरफ्तार भी किया गया है। सालों तक सलाखों के पीछे रहने के बावजूद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शायद यही वजह है कि आज पूरी दुनिया उनकी कहानियां पढ़ रही है।

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    नॉर्वे नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने शुक्रवार को ओस्लो में पुरस्कार का एलान किया। नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर, जो 10 लाख अमेरिकी डॉलर के बराबर है, का नकद पुरस्कार दिया जाता है। दिसंबर में एक सेरेमनी में नोबेल पुरस्कार विजेताओं को गोल्ड मेडल और डिप्लोमा दिया जाएगा।

    कौन हैं नरगिस मोहम्मदी?

    नरगिस मोहम्मदी, यह कोई नाम नहीं बल्कि मानवता, सांत्वना और मजबूत नेतृत्व की पर्याय हैं। महिलाओं को सशक्त करने और उनके अधिकारों के लिए मजबूती से लड़ती रही हैं। इस दौरान कई बार उन्हें भी जुल्म और अत्याचार का सामना करना पड़ा है। नरगिस मोहम्मदी को 2021 में हिरासत में लिया गया था, जब उन्होंने गैसोलीन की कीमतों में वृद्धि के कारण 2019 में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में मारे गए एक व्यक्ति के स्मारक में जाने की कोशिश की थी।

    • साल 2021 में नरगिस मोहम्मदी को हिरासत में लेने के बाद तेहरान की कुख्यात एविन जेल भेजा गया, अभी फिलहाल वो जेल में ही हैं।
    • बकौल बेरिट रीस-एंडरसन, नरगिस मोहम्मदी को 13 बार जेल जाना पड़ा और पांच बार उन्हें दोषी ठहराया गया।
    • 51 वर्षीय नरगिस मोहम्मदी ने 31 साल सलाखों के पीछे गुजारे हैं।
    • साल 2003 में मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन एबादी के पुरस्कार जीतने के बाद नरगिस मोहम्मदी नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने वाली 19वीं महिला और दूसरी ईरानी महिला हैं।
    • नरगिस मोहम्मदी ईरान में प्रतिबंधित एक मानवाधिकार केंद्र की उपाध्यक्ष थीं।
    • नरगिस मोहम्मदी को 2018 आंद्रेई सखारोव पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

    नरगिस मोहम्मदी ने दिखाई कलम की ताकत

    सलाखों के पीछे रहने के बावजूद नरगिस मोहम्मदी का हौसला नहीं टूटा और उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए एक ओपिनियन लिखा। उन्होंने अपने लेखों के दम पर ईरान सरकार को कई बार चुनौतियां दी हैं। 

    दरअसल, सितंबर 2022 में 22 वर्षीय महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। महसा अमीनी की मौत को बाद ईरान में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। हालांकि, ईरान सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर खूब अत्याचार किया। जिसकी वजह से 500 से अधिक लोग मारे गए, जबकि 22,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।

    यह भी पढ़ें: ईरान की नरगिस मोहम्मदी को मिला शांति का नोबेल पुरस्कार, जानें क्यों मिला अवॉर्ड

    नरगिस मोहम्मदी की मेहनत रंग लाई। आज उनकी आवाज महज उनकी नहीं, बल्कि ईरानी महिलाओं की आवाज है और इसकी गूंज दुनियाभर में सुनाई दे रही है। नोबेल शांति पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया, लेकिन वह अपनों से दूर हैं। तगी रहमानी उनके पति हैं, जो पत्नी को सलाखों के बाहर देखना चाहते हैं।