काबुल के एटीएम में कैश नदारद, बंद हैं बैंक; पाई-पाई को मोहताज हुए लोग
दो दशक से विदेशी सेनाओं की रखवाली में जी रहे अफगानिस्तान के लोगों को अब मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही तालिबान की वापसी ने अफगान के लोगों को पाई पाई के लिए मोहताज बना दिया है।
काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता पर तालिबानियों के काबिज होने के कुछ ही दिनों बाद यहां के लोगों की मुश्किलें शुरू हो गई हैं। दरअसल यहां के बैंक बंद पड़े हैं और एटीएम में पैसे नही हैं। इसके कारण काबुल के लोगों के पास नकदी की किल्लत है। एटीएम में पैसे नहीं होने के कारण लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। बुधवार सुबह तालिबान ने बैंकों को दोबारा खोलने के आदेश देदिए लेकिन यहां के लोगों ने बताया कि अधिकांश बैंकों के दरवाजे बंद हैं। बैंक के बाहर लोगों की लंबी लाइनें देखी गईं लेकिन इनमें से किसी को भी इस बात का पता नहीं कि बैंक खुलेगा भी या नहीं।
संवेदनशील हालात को देखते हुए राजधानी काबुल के एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'लोगों के पास पैसे नहीं है सबको बैंक के खुलने का इंतजार है। तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद (Zabihullah Mujahid) ने मंगलवार को बताया कि वे उन अफगान निवासियों को रोकेंगे जो देश से बाहर डॉलर ले जा रहे हैं और बिलों को जब्त करेंगे। तालिबान प्रवक्ता मुजाहिद के साथी बिलाल करीमी (Bilal Kareemi) ने कहा, 'बैकों के खुलने की रिपोर्ट हमें नहीं मिली है, लेकिन जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे और लोगों की चिंताएं दूर होंगी।' लेकिन काबुल के लोगों के बीच अनिश्चितता के हालात हैं। यहां महंगाई काफी बढ़ गई है, बिजनेस ठप पड़े हैं और नकदी की किल्लत (Shortage of Cash) हो गई है।
दुनिया के गरीब देशों में से एक अफगानिस्तान पूरी तरह से विदेश से मिलने वाले फंड पर आश्रित है। काबुल के अर्थशास्त्री मोहम्मद दाउद नियाजी (Muhammad Dawood Niazi) ने कहा कि भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि तालिबान देश को कैसे चलाएगा। वर्ल्ड बैंक ने तालिबान की वापसी के बाद अफगानिस्तान में करीब 30 फीसद प्रोजेक्ट की फंडिंग पर रोक लगा दी है।