वैज्ञानिकों ने Light को किया फ्रिज और फिर बना दिया सॉलिड...इस तकनीक का किया इस्तेमाल
इतालवी वैज्ञानिकों ने रोशनी को ठोस पदार्थ के रूप में बदलने में सफलता प्राप्त की है जो क्वांटम फिजिक्स के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज मानी जा रही है। इस खोज से भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग और ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी में बड़े बदलाव हो सकते हैं। यह शोध दर्शाता है कि प्रकाश ठोस पदार्थ जैसा व्यवहार कर सकता है साथ ही वह बिना घर्षण के बह सकता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंसानों ने लाखों साल पहले आग की खोज की थी और फिर उसने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इंसानों ने विज्ञान का हाथ थाम कर अविष्कार की ऐसी सीढ़ी चढ़ी जो हमें बाकी जीवों से अलग बनाता है। अब हमारे लिए कुछ मुश्किल नहीं है, हम चंद मिनटों में एक शहर से दूसरे शहर जा सकते हैं। विज्ञान की बदौलत ही हम हर उस सच को भी जान पाए हैं जिसे चमत्कार या दैवीय शक्ति भर समझा जाता था। इसी बीच इतालवी वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक बड़ी खोज की है, जिसमें उन्होंने रोशनी (Light) को ठोस पदार्थ के रूप में बदलने में सफलता हासिल की है।
- यह शोध क्वांटम फिजिक्स की दुनिया में एक अहम मील का पत्थर माना जा रहा है।
- इसके जरिए भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग और ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी में बड़े बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है।
- 'नेचर' में छपी इस शोध में वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि रोशनी को एक ऐसे अद्भुत रूप में बदला जा सकता है, जो सुपरसॉलिड (सुपर ठोस) की तरह काम करता है।
- यह नई खोज इस बात को प्रमाणित करती है कि प्रकाश का व्यवहार ठोस पदार्थ जैसा हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही उसमें सुपरफ्लुइड की खासियत भी होती हैं, यानी वह बिना किसी घर्षण के फ्लो करता है।
सुपरसॉलिड क्या है?
सुपरसॉलिड एक ऐसी अवस्था है, जिसमें पदार्थ ठोस की तरह कठोर होता है, लेकिन उसकी संरचना सुपरफ्लुइड जैसी होती है, यानी वह बिना रुकावट के फ्लो करता है। अब तक, सुपरसॉलिडिटी को केवल बोस-आइंस्टीन कंडेन्सेट्स (BEC) में देखा गया था। यह वह अवस्था है, जब किसी पदार्थ को बहुत ठंडा किया जाता है, जिससे उसके परमाणु एक साथ एक ही क्वांटम अवस्था में पहुंच जाते हैं। हालांकि, इस नए शोध ने यह दिखाया है कि प्रकाश भी इस तरह का अजीब और असामान्य व्यवहार दिखा सकता है।
शोधकर्ताओं ने रोशनी को ठोस कैसे बनाया?
वैज्ञानिकों ने पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया, जैसे कि तापमान कम करके तरल पदार्थ को ठोस बनाना। इसके बजाय, उन्होंने क्वांटम तकनीक का सहारा लिया। इस प्रक्रिया में, वैज्ञानिकों ने एक सेमीकंडक्टर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया, जो फोटॉनों (प्रकाश कणों) को उसी तरह नियंत्रित करता है, जैसे इलेक्ट्रॉन को नियंत्रित किया जाता है।
शोधकर्ताओं ने गैलियम आर्सेनाइड नामक एक सामग्री का इस्तेमाल किया, जो सूक्ष्म लकीरों से बनी थी। इसके बाद, उन्होंने एक लेजर की मदद से पोलारिटॉन नामक कणों का निर्माण किया, जो प्रकाश और पदार्थ के मिलेजुले रूप होते हैं। जैसे-जैसे प्रकाश के कणों की संख्या बढ़ी, वैज्ञानिकों ने देखा कि ये कण एक खास तरीके से एकजुट हो रहे थे, जिससे सुपरसॉलिड का संकेत मिल रहा था।
इस खोज के क्या नतीजे हो सकते हैं?
यह शोध क्वांटम तकनीक में नई संभावनाओं का रास्ता खोलता है। खासकर, क्वांटम कंप्यूटिंग में इसका बड़ा असर पड़ सकता है। अगर सुपरसॉलिड लाइट को कंट्रोल किया जा सके, तो इससे अधिक स्थिर क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) बनाना आसान हो जाएगा, जो क्वांटम कंप्यूटर की शक्ति को और बढ़ा सकते हैं।
- ऑप्टिकल उपकरणों, फोटोनिक सर्किट और क्वांटम यांत्रिकी के क्षेत्र में भी इस खोज का बड़ा असर हो सकता है।
- भविष्य में, यह शोध न केवल क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए, बल्कि ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी और अन्य विज्ञान क्षेत्रों में भी नई दिशा प्रदान करेगा।
इस खोज ने विज्ञान की नई सीमाओं को खोला है और आने वाले समय में क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में इस तकनीक को और संजोया जाएगा, जिससे हम और भी ज्यादा कंट्रोल और स्थिर सुपरसॉलिड लाइट बना सकेंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।