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    बांग्लादेश के बाद ISI की नजर अब नेपाल पर, भारत विरोधी गतिविधियों के लिए 'अड्डा' बनाने की फिराक में पाक खुफिया एजेंसी

    By Agency Edited By: Prince Gourh
    Updated: Tue, 29 Jul 2025 11:00 PM (IST)

    खुफिया एजेंसी आईएसआई अब नेपाल पर नजरें गड़ाए हुए है जहाँ वह पाकिस्तानियों की संख्या बढ़ाकर उन्हें भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने वालों में बदलने की साजिश रच रही है। पुरबोकोने की रिपोर्ट के अनुसार ऐश फाउंडेशन ने नेपाल में एक मस्जिद की आधारशिला रखी है जिसका उद्देश्य इस्लामी जागरण या धर्मांतरण का केंद्र बनना है।

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    आईएसआई की नेपाल पर नज़र (फाइल फोटो)

    आईएएनएस, नई दिल्ली। भारत विरोधी गतिविधियों के लिए बांग्लादेश को अपना 'अड्डा' बनाने के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब नेपाल पर भी नजरें गड़ाए हुए है।

    नेपाल में रहने वाले पाकिस्तानियों की संख्या बढ़ाने की लगातार कोशिश की जा रही है और उन्हें ऐसे लोगों में बदलने की बड़ी साजिश है जो भारत में आतंकी हमलों का अंजाम दे सकें।

    बांग्लादेश के स्थानीय समाचार पत्र 'पुरबोकोने' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अलहाज शम्शुल हक फाउंडेशन नामक एक संगठन, जिसे ऐश फाउंडेशन के नाम से भी जाना जाता है, उसनॉने नेपाल में सुनसरी जिले के विराटनगर के पास इनारावा क्षेत्र में एक मस्जिद की आधारशिला रखी है।

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    कब हुआ मस्जिद का शिलान्यास

    'रज्जाक मस्जिद' नामक इस मस्जिद को यह फाउंडेशन स्थानीय मुस्लिम आबादी का धार्मिक केंद्र बताता है। इसका शिलान्यास समारोह ऐश फाउंडेशन के अध्यक्ष इंजीनियर मुहम्मद नासिरुद्दीन ने इसी वर्ष 18 जुलाई को किया था।

    समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि यह मस्जिद न केवल मुसलमानों के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगी, बल्कि नेपाल की 95 प्रतिशत गैर-मुस्लिम आबादी के बीच इस्लामी जागरण या धर्मांतरण का केंद्र भी बनेगी।

    ऐश फाउंडेशन का बयान

    ऐश फाउंडेशन ने एक बयान में कहा, ''रज्जाक मस्जिद सुनसरी में मुसलमानों के लिए एक आध्यात्मिक और सांप्रदायिक केंद्र बनने की उम्मीद है। साथ ही, यह नेपाल में अंतर-सामुदायिक सहयोग और विकास का एक उदाहरण भी बनेगी। समूचे दक्षिण एशिया में वंचित समुदायों के लिए यह फाउंडेशन धार्मिक और शैक्षिक बुनियादी ढांचे का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।''

    भारतीय एजेंसियों को संदेह है कि आइएसआइ इस पहल का गुप्त रूप से समर्थन कर रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस पहल को कुछ खाड़ी देशों और तुर्किये का भी समर्थन प्राप्त है। आगे चलकर यह मस्जिद न केवल एक धार्मिक केंद्र के रूप में, बल्कि आईएसआई समर्थित आतंकवादी समूहों के लिए एक लाजिस्टिक्स सेंटर के रूप में भी काम कर सकती है।

    क्या आह्वान किया गया?

    गौरतलब है कि ऐश फाउंडेशन की औपचारिक शुरुआत 2018 में हुई थी और इसे 2022 में बांग्लादेश में एक गैर सरकारी संगठन के रूप में पंजीकृत किया गया था। इससे पहले, यह फाउंडेशन एक ज्वाइंट स्टॉक कंपनी के रूप में काम करता था।

    बहरहाल, 18 जुलाई को इस फाउंडेशन ने मस्जिद के निर्माण के लिए और नेपाल तथा अन्य पड़ोसी देशों में इसी तरह की परियोजनाओं के विस्तार के लिए दान देने का सार्वजनिक आह्वान किया था। बांग्लादेश में शेख हसीना शासन के पतन के बाद आइएसआइ ने भारत की सीमा से लगे देशों में अपने 'अड्डे' स्थापित करने के अवसर का लाभ उठाया है।