Alireza Akbari :जासूसी के आरोप में ईरान ने ब्रिटिश-ईरानी नागरिक अलिर्जा अकबरी को दी फांसी
Alireza Akbari Executed ब्रिटिश मूल के ईरानी नागरिक को ब्रिटेन के लिए जसूसी के आरोप में मौत की सजा दी गई है। खबरों के अनुसार उनपर भ्रष्टाचार और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगा था। बता दें कि अकबरी ईरान के पूर्व उप रक्षा मंत्री थे।

दुबई, एजेंसी। Alireza Akbari Executed: ब्रिटेन के लिए जासूसी करने के जुर्म में ईरान ने ब्रिटिश-ईरानी मूल के अलीरेजा अकबरी को मौत की सजा दे दी है। न्यायपालिका की न्यूज एजेंसी मिजान ने शनिवार को यह जानकारी दी। शुक्रवार को ब्रिटेन के विदेश सचिव ने कहा था कि ईरान को उनके पूर्व उप रक्षा मंत्री अकबरी को मौत की सजा नहीं देना चाहिए। ब्रिटेन ने इस सजा को राजनीति से प्रेरित बताते हुए अकबरी की जल्द रिहाई की मांग की थी।
प्रताड़ना के बाद कबूले जुर्म
मिजान के अनुसार अलीरेजा अकबरी को भ्रष्टाचार और देश के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए मौत की सजा दी गई। उनपर आरोप थे कि उन्होंने ब्रिटेन सरकार की खूफिया सेवा के लिए जासूसी करते हुए आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को खतरे में डाला। इसके अलावा उन्होंने जासूसी के लिए 1805000 यूरो, 265000 पाउंड और 50000 डॉलर लिए थे। 11 जनवरी को बीबीसी पर्शियन पर प्रसारित हुई एक रिकार्डिंग में अकबरी कहते हुए सुने जा सकते हैं कि उन्होंने भयंकर प्रताड़ना के बाद उन अपराधों को स्वीकार कर लिया जो उन्होंने किए ही नहीं थे।
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बताई थी खूफिया जानकारी
ईरान के राष्ट्रीय मीडिया प्रसारण में 12 जनवरी को दिखाया गया था कि 2020 में ईरान के प्रमुख न्यूकलियर वैज्ञानिक मोहसेन फखिरजादेह की मौत के पीछे अबकरी की भूमिका थी। उनकी मौत 2020 में तेहरान के बाहर 2020 में हुए एक हमले में हो गई थी। जिसके लिए उस वकत इजराइल पर आरोप लगाए गए थे। वीडियो में बताया गया था कि अकबरी ने अपना गुनाह कबूल नहीं किया था लेकिन ब्रिटश एजेंट ने उनसे फखिरजादेह के बारे में सूचना मांगी थी।
दोनों देशों के संबंधों में खटास
ईरान का राष्ट्रीय मीडिया राजनीतिक आरोपों से घिरे लोगों के बयानों को अक्सर प्रसारित करता है। ईरान के 2015 के न्यूक्लियर पैक्ट को दोबारा बहाल करने में आए अवरोधों के बाद लंदन और तेहरान के बीच संबंध पिछले कुछ महीनों में खराब हुए हैं। इस पैक्ट में ब्रिटन एक सहायक था। इसके अतिरिक्त सितंबर में ईरान-कुर्दिश मूल की युवती की हवालात में हुई मौत के बाद ईरान में हुए सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों को लेकर भी ब्रिटेन आलोचना की मुद्रा में था।
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