Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जलवायु परिवर्तन का कोरल रीफ आइलैंड पर पड़ रहा बुरा असर, सिकुड़ने की बजाय बदल रहे आकार

    By Manish PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 18 Jul 2019 09:43 AM (IST)

    वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि प्रशांत क्षेत्र में निचले स्तर के कोरल रीफ आइलैंड जलवायु परिवर्तन के कारण अपना आकार बदल रहे हैं। ...और पढ़ें

    Hero Image
    जलवायु परिवर्तन का कोरल रीफ आइलैंड पर पड़ रहा बुरा असर, सिकुड़ने की बजाय बदल रहे आकार

    वेलिंगटन, एएफपी। जलवायु परितर्वन के कारण समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे सबसे ज्यादा खतरा छोटे द्वीपों को है। कई अध्ययनों में यह दावा भी किया गया है कि आगामी कुछ दशकों में जल स्तर बढ़ने से छोटे द्वीप समुद्र में समा सकते हैं। अब एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि प्रशांत क्षेत्र में निचले स्तर के रीफ आइलैंड यानी कोरल रीफ आइलैंड (शैवाल-भित्तियों से बने द्वीप) जलवायु परिवर्तन के कारण सिकुड़ने की बजाय अपना आकार बदल रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तुवालु, टोकेलो और किरिबाती जैसे प्रवाल द्वीप, जो समुद्र तल से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित हैं, ग्लोबल वार्मिग के लिए सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं। एक रिपोर्ट में यह आशंका भी जताई गई है कि पानी के स्तर में वृद्धि होने पर इन द्वीपों के लोग भविष्य में शरणार्थी बन सकते हैं। लेकिन हाल में ही प्रकाशित हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि प्रवाल-भित्तियों से बने द्वीप समुद्री जल स्तर बढ़ने से पानी में डूबने की बजाए अपना आकार बदल रहे हैं क्योंकि ये द्वीप ठोस चट्टानों से निर्मित नहीं हैं बल्कि छोटे-छोटे जीवों से मिलकर बने हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसे द्वीप धीरे-धीरे अपना आकार बदलते हैं। इससे जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए बनाई गई योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।

    ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के र्मुे फोर्ड, जो इस अध्ययन के सह-लेखक भी हैं, ने कहा कि निचले स्तरों के प्रवाल द्वीप पुराने अनुमानों के मुकाबले कई ज्यादा स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है सभी प्रवाल द्वीप एकाएक अपना आकार बदल रहे हैं, क्योंकि कई द्वीपों में सघन आबादी भी रहती और कई निर्जन भी हैं। आबादी के मुकाबले निर्जन द्वीप समुद्र के स्तर के साथ-साथ बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार और स्थानीय समुदायों पर निर्भर करता है कि वह समय के साथ कैसे खुद को अनुकूलित करते हैं, लेकिन हमें लगता है कि यह अध्ययन इस तथ्य को उजागर करता है कि ये द्वीप खुद को प्रकृति के अनुकूल ढाल रहे हैं और स्थानीय समुदाय को भी स्वयं को इसके अनुकूल बनाना चाहिए।

    न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और कनाडा के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यह अध्ययन जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका ने प्रकाशित किया है। शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्रों और तूफान के प्रभाव का परीक्षण किया, जिसमें उन्होंने पाया कि कई द्वीपों के शिखर काफी ऊंचे हो गए हैं।