शहबाज सरकार को लगेगी मिर्ची, तालिबान सरकार संग करीबी बढ़ा रहा भारत; पाकिस्तान की दहलीज तक पहुंचने का बन रहा प्लान?
India Afghanistan Relations भारत और तालिबान के रिश्तों में सुधार हो रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर और अफगानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की बातचीत के बाद भारत ने अफगानिस्तान को आर्थिक मदद देने का फैसला किया है। भारत वहां रुकी हुई 500 छोटी-बड़ी परियोजनाओं पर फिर से काम शुरू करेगा। तालिबान ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह अफगानिस्तान को भारत विरोधी ताकतों का अड्डा नहीं बनने देगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को लेकर भारत की जो भी चिंताएं थीं वह अमूमन खत्म हो चुकी हैं। खासतौर पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तालिबान सरकार ने जिस तरह से भारत के हितों का ख्याल रखा, उसके बाद भारत ने तय कर लिया है कि इस सुदूर पड़ोसी देश के साथ वह अपने द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य करेगा।
काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के तकरीबन साढ़े चार वर्ष बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर की अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के साथ हुई बातचीत इसी को बताता है। अब भारत की तरफ से अफगानिस्तान को आर्थिक व समाजिक विकास के लिए सबसे बड़ी मदद दिए जाने की योजना पर काम हो रहा है। साथ ही तालिबान सरकार से विमर्श के बाद भारत वहां स्थगित 500 के करीब छोटी-बड़ी परियोजनाओं पर फिर से काम शुरू करने पर भी विचार कर रहा है।
भारत की चिंताओं का तालिबान ने किया था निवारण
तालिबान सरकार के साथ भारत के रिश्तों के सुधरने की यह शुरुआत तब हुई है, जब अमेरिका की तरफ से अफगानिस्तान में नई रुचि दिखाने के संकेत मिल रहे हैं और पाकिस्तान के साथ तालिबान के रिश्ते लगातार खराब हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्री जयशंकर के साथ अफगानी विदेश मंत्री की वार्ता से तालिबान को लेकर भारत की जो दो सबसे बड़ी चिंताएं थी उनका निवारण हुआ है।
पहला, तालिबान ने अफगानिस्तान को भारत विरोधी आतंकी ताकतों का पनाहगार स्थल नहीं बनने दिया और दूसरा, ईरान स्थित चाबहार पोर्ट के विस्तार में तालिबान सरकार पूरी मदद देने को तैयार है। इन दोनों आशंकाओं के दूर होने के बाद भारत तालिबान की तरफ से अफगानी उत्पादों के लिए अपने बाजार को खोलने और सामाजिक विकास के लिए लंबित परियोजनाओं को दोबारा शुरू करने को तैयार है। जयशंकर और मुत्तकी के बीच वार्ता के एक दिन बाद ही भारत ने अफगानिस्तान से सूखे मेवे व फलों को भारत लाने के लिए अटारी बार्डर को खोल दिया था। इससे 150 से ज्यादा अफगानिस्तानी ट्रकों को भारत आने दिया गया है। अगस्त, 2021 (पूर्व राष्ट्रपति अशरफ घनी की सरकार के सत्ता छोड़ने) के बाद इतनी बड़ी संख्या में पहली बार अफगानी ट्रकों को भारत में प्रवेश की अनुमति मिली है।
500 छोटी-बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा
तालिबान ने जब सत्ता संभाली थी तब अफगानिस्तान के 34 प्रातों में भारत की मदद से तकरीबन 500 छोटी-बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा था। इनमें से कुछ परियोजनाएं संभवत: पूरी हो चुकी थीं। तीन अरब डॉलर के निवेश वाली ये परियोजनाएं अफगानिस्तान के ग्रामीण व दूरदराज के हिस्सों में बिजली पहुंचाने, बेहतर मार्ग स्थापित करने या टेलीफोन नेटवर्क स्थापित करने से संबंधित हैं।
पाकिस्तान पर सीधे नजर रख सकेगा भारत?
जयशंकर और मुत्तकी के बीच बातचीत से चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान के देलारम तक की सड़क परियोजना के काम को भी आगे बढ़ाने का रास्ता खुल सकता है। आठ मई, 2025 को ही भारत और ईरान के विदेश मंत्रियों की अगुवाई में हुई बैठक में इस परियोजना पर भी बात हुई है। इसके बाद भारत-अफगान विदेश मंत्रियों की 15 मई को हुई वार्ता में भी यह मुद्दा उठा।
218 किलोमीटर लंबी इस सड़क का निर्माण पूरी तरह से भारत की मदद से हो रहा है जो आने वाले दिनों में अफगानिस्तान को सीधे चाबहार पोर्ट से जोड़ेगा। ये भारत के लिए रणनीतिक लिहाज से भी काफी अहम, इसके जरिए भारत की नजर पाकिस्तान पर होगी। तालिबान के सत्ता में आने से पहले भारत ने समूचे काबुल को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए शहतूत डैम बनाने का एलान किया था। इस पर भी तालिबान तेजी से काम कराना चाहता है।
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