UN की मानवाधिकार रिपोर्ट पर भड़का भारत, सांप्रदायिक और पक्षपात से प्रेरित
भारत ने म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की आलोचना की है। भारत ने कहा कि पहलगाम हमले से म्यांमार के विस्थापितों पर असर का दावा निराधार है। सांसद दिलीप सैकिया ने रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताया और हिंसा रोकने का आह्वान किया। रिपोर्ट में म्यांमार के शरणार्थियों पर दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है, जिसे भारत ने खारिज किया।

भारत ने UN रिपोर्ट की निंदा की। लोकसभा सांसद दिलीप सैकिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने म्यांमार की मानवाधिकार स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में अपने खिलाफ किए गए ''अंधविश्वासी विश्लेषण'' की कड़ी निंदा की है और कहा है कि पहलगाम आतंकवादी हमले से म्यांमार के विस्थापितों पर असर पड़ने के दावे का ''कोई भी तथ्यात्मक आधार नहीं है''।
भारत ने म्यांमार में हिंसा को तत्काल रोकने का अपना आह्वान भी दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि स्थायी शांति केवल समावेशी राजनीतिक संवाद और विश्वसनीय एवं सहभागी चुनावों के जरिये लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की शीघ्र बहाली से ही सुनिश्चित हो सकती है।
भारत ने UN रिपोर्ट की निंदा की
संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति में म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर विमर्श के दौरान लोकसभा सांसद दिलीप सैकिया ने कहा कि 'म्यांमार की मानवाधिकार स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत द्वारा भारत के विरुद्ध की गई ''निराधार, सांप्रदायिक और पक्षपातपूर्ण'' टिप्पणियों पर मैं गंभीर आपत्ति व्यक्त करता हूं।'
पहलगाम हमले का दावा निराधार
सैकिया ने पहलगाम में अप्रैल, 2025 में हुए आतंकवादी हमले के पीडि़तों के संबंध में म्यांमार में मानवाधिकारों के लिए विशेष दूत थामस एंड्रयूज द्वारा अपनाए गए ''पक्षपातपूर्ण और सांप्रदायिक दृष्टिकोण'' की कड़ी निंदा की। भाजपा सांसद दिलीप सैकिया ने जोर देकर कहा कि अप्रैल, 2025 में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को म्यांमार के विस्थापितों से जोड़ने वाले दावे का ''कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है''।
शरणार्थियों पर दबाव का आरोप
उन्होंने कहा, ''मेरा देश विशेष दूत के इस तरह के पूर्वाग्रह से भरे और संकीर्ण विश्लेषण को अस्वीकार करता है।'' म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर अपनी हालिया रिपोर्ट में थामस एंड्रयूज ने कहा, ''जम्मू और कश्मीर में ¨हदू पर्यटकों पर अप्रैल, 2025 में हुए आतंकवादी हमले के बाद म्यांमार के शरणार्थी भारत में भारी दबाव में हैं, जबकि इस हमले में म्यांमार का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं था।'' एंड्रूज ने आरोप लगाया कि भारत में म्यांमार के शरणार्थियों को ''हाल के महीनों में भारतीय अधिकारियों द्वारा तलब किया गया है, हिरासत में लिया गया है, पूछताछ की गई है और निर्वासन की धमकी दी गई है।''-
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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