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    'मानवाधिकार का सबसे खराब रिकॉर्ड और दूसरों को उपदेश दे रहा', UNHRC में भारत ने फिर की पाकिस्तान की फजीहत

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 05:19 PM (IST)

    भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि उसे अपने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न पर ध्यान देना चाहिए। जिनेवा में बोलते हुए के.एस. मोहम्मद हुसैन ने कहा कि सबसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों में से एक भारत को उपदेश दे रहा है। उन्होंने पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाने का भी आरोप लगाया।

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    भारत ने पाकिस्तान को फिर सुनाई खरी-खरी।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि दुनिया में सबसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देश को अपने समाज में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर राज्य प्रायोजित उत्पीड़न और व्यवस्थागत भेदभाव पर गौर करना चाहिए।

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    जिनेवा स्थित भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर के.एस. मोहम्मद हुसैन ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में आम बहस के दौरान बोलते हुए कहा, "हमें यह बहुत विडंबनापूर्ण लगता है कि दुनिया में सबसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों में से एक देश दूसरों को उपदेश देना चाहता है।"

    बिना नाम लिए पाकिस्तान को सुनाई खरी-खरी

    हुसैन ने मंगलवार को किसी देश का नाम लिए बिना कहा, "भारत के खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों के साथ इस प्रतिष्ठित मंच का दुरुपयोग करने की उनकी कोशिशें उनके पाखंड को ही उजागर करती हैं। बेबुनियाद प्रचार करने के बजाय, उन्हें अपने ही समाज में व्याप्त राज्य-प्रायोजित उत्पीड़न और (धार्मिक एवं जातीय अल्पसंख्यकों के) व्यवस्थित भेदभाव का सामना करना चाहिए।" लेकिन यह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा था, जिसके प्रतिनिधि ने भारत के समक्ष बोलते हुए कश्मीर मुद्दे को उठाया।

    'भारत कर रहा लगातार प्रयास'

    भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा। हुसैन ने यह भी कहा कि भारत अपने लोगों के मानवाधिकारों का पूर्ण आनंद सुनिश्चित करने और सतत विकास को साकार करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। हमें सामूहिक रूप से वीडीपीए के आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करनी चाहिए।

    वीडीपीए या वियना घोषणा और कार्ययोजना, जिसे 1993 के विश्व मानवाधिकार सम्मेलन के बाद अपनाया गया था, एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसने मानवाधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा द्वारा रखी गई नींव को मजबूत किया है।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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