'लालफीताशाही पर लगाम लगाए भारत'; स्विट्जरलैंड की मंत्री का बड़ा बयान; इन देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बनी सहमति
स्विट्जरलैंड के आर्थिक मंत्री हेलिनी बलिजदर आर्तेदा ने भारत को निवेश के लिए उपयुक्त बताया लेकिन लालफीताशाही कम करने की सलाह दी। मुक्त व्यापार समझौते के तहत 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य है जिसके लिए नियामक बदलाव जरूरी हैं। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि नियमों को आसान बनाने के प्रयास जारी हैं।
राजीव कुमार, बर्न। स्विट्जरलैंड की आर्थिक मामले की मंत्री हेलिनी बलिजदर आर्तेदा ने कहा है कि भारत निवेश के लिए काफी उपयुक्त और पसंदीदा स्थान है। लेकिन भारत को अधिक से अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिए अपने नियामक में बदलाव करना होगा और लालफीताशाही पर लगाम लगाना होगा।
उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड के कई उद्यमी उन्हें इस बात की शिकायत करते हैं कि भारत में लालफीताशाही काफी अधिक है। भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत भारत में अगले 15 साल में 100 अरब डॉलर के निवेश का करार है, लेकिन इसे हासिल करने के लिए हमें एक फ्रेमवर्क और भारत की लालफीताशाही को अधिक से अधिक कम करने की आवश्यकता है।
11 सालों से लगातार हो रहे प्रयास
उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र की वजह से हम भारत को प्राथमिकता देते है और हम भारत पर भरोसा भी करते हैं। दूसरी तरफ, भारत के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि 100 अरब डॉलर के निवेश को लेकर हमारा करार वर्तमान नियामक के तहत ही हुआ है। जहां तक कारोबारी नियमों को आसान करने की बात है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 सालों से लगातार इस प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 100 अरब डॉलर के निवेश से 500 अरब डॉलर का कारोबार तैयार होगा और उम्मीद की जा रही है कि इस निवेश से 10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेंगे। स्विट्जरलैंड में गोयल के साथ उद्यमियों ने अपने संवाद में भारत में जमीन उपलब्धता और लॉजिस्टिक कठिनाइयों को भी उजागर किया। मंगलवार की देर शाम को गोयल ने स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 1500 से अधिक उद्यमियों को संबोधित किया था।
चार देशों के साथ हुआ मुक्त व्यापार समझौता
- यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) से जुड़े चार देशों के साथ भारत ने मुक्त व्यापार समझौता किया है जिसमें स्विट्जरलैंड, नार्वे, आइसलैंड और लिसेतेन्सतिन शामिल है। ये चारों देश यूरोपीय यूनियन के साथ हो रहे मुक्त व्यापार समझौते से अलग है। इनमें सबसे प्रमुख देश स्विट्जरलैंड है।कांग्रेस के जमाने में हुए एफटीए से नुकसान हुआगोयल ने बताया कि कांग्रेस के जमाने में जो भी मुक्त व्यापार समझौते किए गए, उससे देश का निर्यात नहीं बढ़ा। उल्टा हमें नुकसान हुआ।
- जापान से लेकर आसियान देशों के साथ हुए एफटीए से उन देशों से हमारे आयात में अधिक बढ़ोतरी हुई और हमारा निर्यात नहीं बढ़ा। हम कच्चे माल का आयात अधिक कीमत पर करते रहे और तैयार माल का आयात कम दर पर करने लगे। इससे हमारा मैन्यूफैक्चरिंग प्रभावित हुआ। लेकिन अब जो हम एफटीए कर रहे हैं, वह बराबर के स्तर पर कर रहे हैं और जल्द ही भारत और यूरोपीय यूनियन के साथ व्यापार समझौता हो सकता है।
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