Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यूरोपीय संसद में दिखा भारत के बढ़ते प्रभाव का असर, सीएए विरोधी प्रस्ताव पर मतदान टला

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Thu, 30 Jan 2020 09:05 AM (IST)

    भारत के भारी विरोध के चलते नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ यूरोपीय संसद (ईपी) में पेश पांच विभिन्न संकल्पों से संबंधित संयुक्त प्रस्ताव पर मतदान मार्च तक टल गया है।

    यूरोपीय संसद में दिखा भारत के बढ़ते प्रभाव का असर, सीएए विरोधी प्रस्ताव पर मतदान टला

    ब्रुसेल्‍स, एजेंसियां। अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत के बढ़ते प्रभाव का असर यूरोपीय संसद में देखने को मिला है। भारत के भारी विरोध और उसके मित्रों के दबाव के चलते नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ यूरोपीय संसद (ईपी) में पेश पांच विभिन्न संकल्पों से संबंधित संयुक्त प्रस्ताव पर मतदान मार्च तक टल गया है। पहले प्रस्ताव पर बुधवार को बहस के बाद गुरुवार को मतदान होना था। पाकिस्तान ने अपने कुछ यूरोपीय मित्र देशों की मदद से प्रस्ताव पर मतदान कराने की कोशिश की थी, लेकिन उसे यहां भी मुंह की खानी पड़ी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शफाक मोहम्मद ने की भारत विरोधी प्रस्‍ताव को पारित कराने की कोशिश

    भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि यूरोपीय संसद में भारत के मित्र पाकिस्तान के मित्रों पर भारी पड़े। यूरोपीय संसद ने यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने के फैसले पर बुधवार को ही मुहर लगाई। लेकिन यूरोपीय संसद से जाते-जाते ब्रिटेन के सदस्य और पाकिस्तान के मित्र शफाक मोहम्मद ने भारत विरोधी प्रस्ताव को पारित कराने की भरपूर कोशिश की। सूत्रों ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि यूरोपीय संसद के निष्पक्ष सदस्यों उसके पक्ष को समझेंगे।

    प्रस्ताव पर मतदान को मार्च तक टाल दिया गया

    यूरोपीय संसद की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, 'ब्रुसेल्स में आज का सत्र शुरू होने पर यूरोपीय संसद के सदस्यों (एमईपी) द्वारा लिए गए फैसले के बाद सीएए पर पेश प्रस्ताव पर मतदान को मार्च तक टाल दिया गया है।' हालांकि, मतदान टलने के कारणों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

    भारत ने प्रस्ताव को आंतरिक मामले में बताया था हस्तक्षेप

    भारत सरकार ने इस प्रस्ताव का सख्त विरोध किया था और इसे अपने आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करार दिया था। भारत का कहना है कि पिछले महीने संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) देश का आंतरिक मामला है और इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार अल्पसंख्यकों को संरक्षण प्रदान करना है।

    लोकसभा अध्यक्ष ने पत्र लिखकर जताया था विरोध

    लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को यूरोपीय संसद अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को उक्त प्रस्तावों के संदर्भ में पत्र लिखकर कहा था कि एक देश की संसद द्वारा दूसरी संसद के लिए फैसला देना अनुचित है और निहित स्वार्थो के लिए इनका दुरुपयोग हो सकता है। बिरला ने पत्र में लिखा था, 'अंतर संसदीय संघ के सदस्य के नाते हमें दूसरे देशों, विशेष रूप से लोकतांत्रिक देशों की संसद की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान रखना चाहिए।'

    किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है सीएए

    लोकसभा अध्यक्ष ने सीएए को समझाते हुए बताया था कि यह पड़ोसी देशों में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हुए लोगों को आसानी से नागरिकता देने के लिए है, न कि किसी की नागरिकता छीनने के लिए। इसे भारतीय संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद पारित किया गया है।

     

    comedy show banner
    comedy show banner