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    डाक्टर का मूड खराब तो इलाज में हो सकती है लापरवाही, अभी से हो जाएं सावधान, मरीज को भुगतना पड़ सकता है खामियाजा

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Wed, 08 Jun 2022 06:35 PM (IST)

    डाक्टर ओवेन ब्रैडफील्ड और प्रोफेसर मैथ्यू स्पीटल के मार्गदर्शन में एक टीम ने यह शोध किया है। इस टीम ने 2013 से 2018 के बीच आस्ट्रेलिया बैलेंसिंग एंड लाइफ (एमएबीईएल) के एक सर्वेक्षण में 12000 से अधिक आस्ट्रेलियाई डाक्टरों की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया।

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    काम से असंतुष्टि, ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने से भी खराब होता है मूड

    मेलबर्न (आस्ट्रेलिया), एएनआइ। डाक्टर को भगवान का रूप माना जाता है, लेकिन कभी-कभी डाक्टरों से भी गलती हो जाती है और इसका खमियाजा मरीज को भुगतना पड़ता है। हाल ही में किए गए एक शोध में यह पता चला है कि डाक्टर से उस समय इलाज में लापरवाही ज्यादा होती है, जब उसका मूड सही नहीं होता। ऐसे में आपको यह ध्यान रखना है कि यदि डाक्टर का मूड सही नहीं है तो उससे अपने इलाज को लेकर सावधान रहें।

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    मेलबर्न यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए इस शोध के मुताबिक डाक्टरों के मूड का उनके काम पर काफी असर पड़ता है और उनसे इलाज के दौरान लापरवाही होने की संभावना ज्यादा रहती है।

    ऐसे में रोगियों को तो उसका खामियाज भुगतना पड़ता ही है, उसके साथ डाक्टरों को भी कई बार रोगियों के तिमारदारों का दु‌र्व्यवहार झेलना पड़ता है और मुकदमों का भी सामना करना पड़ता है।

    मूड खराब होने के सामान्य कारण

    शोध में डाक्टरों के मूड खराब होने के कारणों की पड़ताल की गई है। इनमें अपने काम से खुश नहीं होना, गांवों में काम करना और यदि हाल ही में वे गंभीर बीमारी या चोट जैसे कारण शामिल हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के तहत जिन डाक्टरों के अंदर चीजों को समझने और सहमति के लक्षण होते हैं, वे इन परेशानियों से बच जाते हैं।

    डाक्टर ओवेन ब्रैडफील्ड और प्रोफेसर मैथ्यू स्पीटल के मार्गदर्शन में एक टीम ने यह शोध किया है। इस टीम ने 2013 से 2018 के बीच आस्ट्रेलिया बैलेंसिंग एंड लाइफ (एमएबीईएल) के एक सर्वेक्षण में 12000 से अधिक आस्ट्रेलियाई डाक्टरों की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया।

    इस सर्वे में जिन डाक्टरों ने भाग लिया, उनसे उनकी उम्र, लिंग, विशेषज्ञता, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, जिंदगी में संतुष्टि, काम करने की स्थिति और क्या पहले कभी उन पर मुकदमा चला है, जैसे सवाल पूछे गए।

    डाक्टर ब्रेडफील्ड ने कहा, इससे हमें उनके काम करने की स्थिति, स्वास्थ्य और व्यकित्व के बारे में जानने का मौका मिला, जिससे उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का जोखिम था।

    इस सर्वे में यह पाया गया कि सिर्फ पांच प्रतिशत डाक्टरों का नाम इलाज के दौरान लापरवाही में सामने आया। इसमें भी महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा थे।

    उन्होंने आगे कहा, इससे हमें यह समझने बेहतर मदद मिली कि आखिर कुछ डाक्टरों पर ही क्यों मुकदमा दायर है। डाक्टरों की एक गलती मरीजों के लिए दुखद परिणाम साबित हो सकती है, वहीं, मेडिकल प्रणाली के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।

    डाक्टर ब्रेडफील्ड ने कहा कि जो मरीज डाक्टरों की गलती का खमियाजा उठाते हैं, वे निवारण, जवाब और आश्वासन के लिए डाक्टरों पर मुकदमा कर सकते हैं ताकि फिर दोबारा इन गलतियों को नहीं दोहराया जाए। हमें यह समझना होगा कि आखिर डाक्टर गलती क्यों करते हैं और उन पर किए मुकदमे के परिणाम से मेडिकल लापरवाही में गलतियां और मेडिकल क्वालिटी मे सुधार आ सकता है।

    वहीं, प्रोफेसर स्पीटल ने कहा कि पहले किए गए शोधों में यह दर्शाया गया है कि उम्रदराज और अनुभवी डाक्टर, जिन्होंने कई सर्जरी की हैं, उनके खिलाफ भी कई मुकदमे दर्ज हुए हैं।