'बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला कर रहे कट्टरपंथी...' मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट में दावा; पढ़ें Report में क्या-क्या
मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर चौंकाने वाली जानकारी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कट्टरपंथी इस्लाम को बढ़ावा देने वाले समूह हिंदू और अहमदिया समुदायों पर हमला कर रहे हैं। इसमें इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए चिंताजनक बताया गया है।

आईएएनएस, ढाका। ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया है कि कट्टरपंथी इस्लाम को बढ़ावा देने वाले समूह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू और अहमदिया समुदायों पर हमला कर रहे हैं।
रिपोर्ट में पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद देश में सुरक्षा बलों के दुरुपयोग के डिस्टर्बिंग पैटर्न का भी जिक्र किया गया है, जिसमें अवामी लीग के समर्थकों और पत्रकारों को निशाना बनाया गया है।
50 पन्नों की है रिपोर्ट
'मानसून क्रांति के बाद: बांग्लादेश में सुरक्षा क्षेत्र में स्थायी सुधार के लिए एक रोडमैप' शीर्षक वाली 50 पन्नों की रिपोर्ट में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को कई सिफारिशें दी गई हैं, जिसमें स्थायी सुधार सुनिश्चित करने के लिए मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय और अन्य संयुक्त राष्ट्र अधिकार विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी सहायता, निगरानी और रिपोर्टिंग की मांग करना शामिल है।
What’s next after Bangladesh’s Monsoon Revolution?
Without urgent structural reform, the abuses of the past could quickly become a blueprint for Bangladesh’s future.
Read the new report from HRW: https://t.co/biZrsaVarL pic.twitter.com/45UZheYoYm
— Human Rights Watch (@hrw) January 28, 2025
रिपोर्ट में हसीना सरकार के पतन के बाद से हिंदू अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों का उल्लेख किया गया है, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय चिंता पैदा हुई है।
हसीना के समर्थकों पर हमला
- कई टिप्पणीकारों ने एचआरडब्ल्यू को बताया कि हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर इसलिए हमला किया गया, क्योंकि वे पारंपरिक रूप से उनकी अवामी लीग पार्टी का समर्थन करते थे।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक हमलों के लगातार आरोप हैं और पुलिस सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है। इसमें इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए चिंताजनक संकेत बताया गया है।
- दास की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई, जब हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर चिंता बढ़ रही है। अंतरिम सरकार ने पुष्टि की है कि 5 अगस्त से 22 अक्टूबर के बीच सांप्रदायिक हिंसा के करीब 88 मामले दर्ज किए गए थे और 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
केस लड़ने को तैयार नहीं वकील
हिंदू समूहों का कहना है कि हिंदू व्यवसायों, घरों और पूजा स्थलों को निशाना बनाकर बर्बरता की सैकड़ों घटनाएं हुई हैं। चटगांव लॉयर्स असोसिएशन ने अपने सदस्यों को दास रिप्रजेंट न करने के लिए मजबूर किया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उसे कोर्ट में लीगल मदद पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। इसमें एक हिंदू वकील का हवाला देते हुए कहा गया है, 'वकील अदालत में अपना पक्ष रखने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें भीड़ की तरफ से हिंसा की धमकी मिलती है। हम सभी को अपने परिवारों की चिंता करनी होती है।'
यूनुस सरकार को सलाह
- न्यूयॉर्क स्थित मानवाधिकार संगठन ने यह भी सुझाव दिया कि अंतरिम सरकार को तुरंत यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी को भी मनमाने ढंग से या अन्यथा गैरकानूनी तरीके से हिरासत में न लिया जाए।
- रिपोर्ट के अनुसार, 6 अगस्त से 25 सितंबर के बीच बांग्लादेश पुलिस ने 92,486 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए, जिनमें से अधिकांश हत्या से संबंधित थे। लगभग 400 पूर्व मंत्रियों, संसद सदस्यों और अन्य अवामी लीग के अधिकारियों को 1,170 से अधिक मामलों में नामित किया गया है।
हसीना पर 200 केस दर्ज
शेख हसीना के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है, नवंबर तक ढाका में अधिकारियों ने छात्र क्रांति पर उनकी रिपोर्टिंग के संबंध में कम से कम 140 पत्रकारों के खिलाफ हत्या का आरोप दायर किया है और आधिकारिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए आवश्यक 150 से अधिक प्रेस मान्यताओं को रद्द कर दिया है।
एचआरडब्ल्यू ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को स्थायी परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में एक प्रस्ताव की मांग करने की सलाह दी। इसने कहा कि रिपोर्ट बांग्लादेश में गहन शोध और डॉक्यूमेंटेशन के साथ-साथ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, अंतरिम सरकार के सदस्यों और वर्तमान और पूर्व लॉ इंफोर्समेंट और मिलिट्री के साथ हाल के साक्षात्कारों पर आधारित है।
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