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आखिर क्‍यों सवालों के घेरे में है किम जोंग उन की लिमोजीन कार, दुनिया के लिए बनी सिरदर्द

किम जोंग उन की लिमोजीन कार सवालों के घेरे में हैं। इस कार ने कई देशों की भौहें चढ़ा दी हैं। कंपनी के पास भी सवालों का जवाब नहीं मिल रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 02:44 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2019 08:39 AM (IST)
आखिर क्‍यों सवालों के घेरे में है किम जोंग उन की लिमोजीन कार, दुनिया के लिए बनी सिरदर्द
आखिर क्‍यों सवालों के घेरे में है किम जोंग उन की लिमोजीन कार, दुनिया के लिए बनी सिरदर्द

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पिछले दिनों जब उत्‍तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन और राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन रूस के शहर व्‍लादिवोस्‍तोक में बैठक कर रहे थे, तब दुनिया के कुछ बड़े देश किम की कार को लेकर परेशान थे। आपको भले ही यह सुनकर हैरानी होगी लेकिन यह सच है। दरअसल, जिस कार में किम राष्‍ट्रपति पुतिन से मिलने पहुंचे थे वह बख्‍तरबंद लिमोजीन कार थी। यह कार किसी भी तरह के हमले को सह सकती है। खास लोगों के लिए बनाई जाने वाली लिमोजीन कार प्रमुख लोगों की जरूरत और उनकी सुरक्षा के हिसाब से तैयार की जाती है। राष्‍ट्राध्‍यक्षों द्वारा इस तरह की कारों के इस्‍तेमाल पर यूं तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए, लेकिन जहां तक उत्‍तर कोरिया के प्रमुख की बात है तो यह जरूर हैरान करने वाली बात है।

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प्रतिबंध के बाद कैसे पहुंची कार
ऐसा इसलिए है क्‍योंकि उत्‍तर कोरिया पर अमेरिका समेत संयुक्‍त राष्‍ट्र ने प्रतिबंध लगा रखे हैं। इसकी वजह उत्‍तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम है। इन प्रतिबंधों के चलते कोई भी देश या कंपनी उत्‍तर कोरिया को न तो कोई सामान बेच सकती है और न ही खरीद सकती है। संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया को लिमोजीन जैसे लक्जरी गुड्स बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इन प्रतिबंधों का मकसद देश पर उसके परमाणु हथियार छोड़ने के लिए दबाव डालना है। ऐसे में उत्‍तर कोरिया के प्रमुख के पास बख्‍तरबंद लिमोजीन कार कहां से आई यह बड़ा सवाल है। इसका सीधा सा अर्थ ये भी है कि अंतरराष्‍ट्रीय नियमों और प्रतिबंधों को ताक पर रखा जा रहा है । आपको बता दें कि इस कार को जर्मनी की कंपनी डायम्लर तैयार करती है। लेकिन किम के पास यह कार कहां से आई इसका कंपनी के पास कोई जवाब नहीं है। वहीं दूसरी तरफ किम के रूसी राष्‍ट्रपति के साथ बैठक के बाद निगाह में आई लिमाजीन कार ने कुछ देशों की खासतौर यूरोपीय देशों की भौहें चढ़ा दी हैं।

कंपनी नहीं जानती जवाब
आपको यहां पर ये भी बता दें कि उत्तर कोरिया के साथ जर्मनी के कोई व्यावसायिक संबंध नहीं है। ऐसे में यह सवाल और ज्‍यादा अहम हो जाता है। डायम्लर इस सवाल के जवाब को नहीं खोज पा रही है। इसके जवाब में कंपनी के प्रवक्‍ता की तरफ से सिर्फ यही कहा गया है कि उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन को यह कार कहां से और कैसे मिली कंपनी को इसकी कोई जानकारी नहीं है। कंपनी के प्रवक्‍ता की मानें तो पिछले 15 सालों से कंपनी का उत्तर कोरिया से कोई व्‍यापारिक संबंध नहीं है। डायम्लर ईयू और अमेरिकी प्रतिबंधों का सख्ती से पालन करती है। इतना ही नहीं कंपनी कंपनी ने इस दौरान उत्तर कोरिया या उसके किसी भी दूतावास तक को कोई कार की डिलिवरी नहीं की है। कंपनी का कहना है कि अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंधों के चलते कंपनी ने इसके लिए एक्सपोर्ट कंट्रोल पॉलिसी तैयार की है। वहीं कंपनी ने यह भी कहा है कि अगर कोई थर्ड पार्टी के माध्‍यम से कारें दूसरी जगहों पर बेची जा रही हैं तो इस पर कंपनी का कोई नियंत्रण नहीं है। न ही कंपनी इसके लिए जिम्‍मेदार है।

पूरी दुनिया में इसके खरीददार
यहां पर ये भी खास बात है कि किम को कई अहम अंतरराष्ट्रीय बैठकों और सम्मेलनों के मौकों पर स्ट्रेच लिमोजीन मॉडलों में देखा गया है। फरवरी में डोनाल्‍ड ट्रंप से हनोई में हुई वार्ता के लिए भी किम लिमोजीन कार से ही बाहर निकलते दिखाई दिए थे। पुतिन के साथ हुई बैठक वाली जगह पर भी किम के लिए दो लिमोजीन कारें, मेबाख एस600 पुलमैन गार्ड और एक मर्सिडीज मेबाख एस62 खड़ी दिखाई दी थी। आपको यहां पर ये भी बता दें कि जर्मनी के श्टुटगार्ट स्थित डायम्लर दुनिया की सबसे बड़ी और जानी-मानी ऑटो कंपनियों में एक है। यह दुनिया में लक्जरी यात्री कारों और छह टन से ऊपर वाले ट्रकों के सबसे बड़े निर्माता भी हैं। इस कंपनी की प्रोडक्शन यूनिट यूरोप, उत्तर और दक्षिण अमेरिका के अलावा एशिया और अफ्रीका में भी हैं। इस गाड़ी के खरीददार पूरे विश्‍व में हैं, लेकिन, प्रतिबंधों के चलते इसके आधिकारिक खरीदारों में उत्तर कोरिया का नाम शामिल नहीं है।

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