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    54 साल में कितना बदला बांग्लादेश? दोस्त से 'दुश्मन' बनने तक की इनसाइड स्टोरी

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 07:13 PM (IST)

    India-Bangladesh Relations: 1971 में भारत की मदद से बना बांग्लादेश आज भारत के लिए सिरदर्द बन गया है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से बांग्लादेश म ...और पढ़ें

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    भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में बदलाव की कहानी

    स्मार्ट व्यू- पूरी खबर, कम शब्दों में

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 1971 में भारत की मदद से जन्मा बांग्लादेश आज भारत के लिए ही सिरदर्द बन चुका है। बांग्लादेश की सड़कों पर भारत-विरोधी नारे, उच्चायोगों के बाहर प्रदर्शन, राजदूतों को तलब करना और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले करना दिल्ली और ढाका के संबंध को अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है

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    दरअसल, बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से ही वहां भारत का विरोध किया जा रहा है। हाल ही में भारत विरोधी बांग्लादेश नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद से एक बार फिर बांग्लादेश में भारत विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं। बांग्लादेशी यह भूल गए हैं कि उसे भारत ने ही बनाया है।

    यही वजह है कि कई लोग पूछ रहे हैं क्या भारत ने जो 'छोटा भाई' बनाया था, वह अब "फ्रेंकस्टीन का राक्षस" बन गया है, जो अपने निर्माता के खिलाफ ही खड़ा हो गया? क्योंकि- एक दौर था, जब बांग्लादेश भारत का घनिष्ठ मित्र हुआ करता था, लेकिन अब शत्रु बन गया है।

    कैसे हुआ पाकिस्तान और बांग्लादेश का बंटवारा?

    1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) भाषा, संस्कृति और आर्थिक शोषण के कारण पश्चिमी पाकिस्तान से अलगाव महसूस करने लगा। 1970 के चुनाव में शेख मुजीबुर रहमान की अवामी लीग की भारी जीत के बावजूद सत्ता नहीं हासिल हुई। जिसके चलते पाकिस्तान में गृहयुद्ध छिड़ गया। पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के कारण लाखों की संख्या में शरणार्थी भारत आ गए।

    इस दौरान भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी का समर्थन किया। जिसके परिणामस्वरूप 1971 का युद्ध हुआ और बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग स्वतंत्र देश बना।

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    स्वतंत्रता के बाद दशकों तक ढाका दिल्ली का करीबी सहयोगी रहा। भारत और बांग्लादेश में सबसे घनिष्ठ संबंध शेख हसीना के सत्ता काल (2009-2024) के दौरान हुआ। इस दौरान दोनों देशों ने व्यापार, रक्षा, कनेक्टिविटी और जल बंटवारा जैसे मुद्दों पर गहरा सहयोग किया।

    बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत को सबसे भरोसेमंद साझेदार कहती थीं। यहां तक कि उनकी प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया ने भी सत्ता में आने के बाद भारत से अच्छे संबंध बनाकर रखे।

    2019 में शेख हसीना ने की थी शिकायत

    साल 2019 की बात है, जब पहली बार बांग्लादेश ने भारत की आलोचना की। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्याज निर्यात प्रतिबंध पर मुस्कुराते हुए शिकायत की थी।

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    2024 का तख्तापलट और रिश्तों में दरार

    साल 2024 की बात है, जब स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों के लिए आरक्षण के विरोध में शुरू हुआ प्रदर्शन राष्ट्रव्यापी आंदोलन में तब्दील हो गया। आलम यह हुआ कि शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा और उन्हें भारत में शरण लेना पड़ा।

    अंतरिम सरकार का गठन

    बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। देश में कानून व्यवस्था से लेकर न्यायपालिका तक में व्यापक बदलाव किए गए हैं। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से बांग्लादेश में अब तक चुनाव नहीं हुआ है। यहां आम चुनाव फरवरी 2026 में होने वाले हैं। इससे पहले एक बार फिर यहां भारत विरोधी नारे सुनने को मिल रहे हैं।

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    कैसे बढ़ा भारत-बांग्लादेश में तनाव?

    अंतरिम सरकार के गठन के बाद से बांग्लादेश बीजिंग और इस्लामाबाद के करीब आ गया। इसके कारण दिल्ली में अपनी सभी सीमाओं पर बढ़ती रणनीतिक चुनौती को लेकर चिंताएं बढ़ गईं। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के चारों ओर भूमि से घिरे होने पर यूनुस की टिप्पणियों ने तनाव को और बढ़ा दिया। इससे यह अटकलें तेज हो गईं कि ढाका पूर्वोत्तर को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ने वाले संवेदनशील चिकन नेक कॉरिडोर पर नजर गड़ाए हुए है।

    2024 में सत्ता से बेदखल होने के बाद शेख हसीना भारत चली आईं, यह उनका दूसरा निर्वासन हैं। इससे पहले वह 1975 में पिता मुजीब की हत्या के बाद भारत आईं थी।

    भारत ने क्यों जताई आपत्ति

    नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार आने के बाद से बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए। इसको लेकर भारत ने आपत्ति भी जताई, लेकिन अंतरिम सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया, बल्कि उल्टे तीखी प्रतिक्रिया दी। स्थिति तब और बिगड़ गई, जब ढाका बीजिंग और इस्लामाबाद के करीब आया। यूनुस की भारत के पूर्वोत्तर को घेरने वाली टिप्पणियों ने चिकन नेक कॉरिडोर पर खतरे की आशंका बढ़ा दी।

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    अंतरिम सरकार के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के उस फैसले ने आग में घी डालने का काम किया, जिसमें शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में मृत्युदंड सुनाया और भारत से प्रत्यर्पण मांगा। हालांकि, भारत ने शेख हसीना को सौंपने से इनकार के संकेत दे दिए हैं।

    फिर बढ़ा तनाव

    वहीं, हाल ही में 2024 के आंदोलन के प्रमुख भारत-विरोधी नेता शरीफ उस्मान हादी कि हत्या के बाद से बांग्लादेश में अफवाह फैली की हत्यारे भारत भाग गए। इससे भारत-विरोधी प्रदर्शन भड़के। हादी की मौत के ठीक अगले दिन मयमनसिंह में हिंदू व्यक्ति दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या और शव जलाने की घटना के बाद भारत में बड़े स्तर पर विरोध शुरू हो चुका है।

     

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    भारत-बांग्लादेश के संबंध मूलभूत

    वहीं भारत में रह रही शेख हसीना का मानना है कि भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध गहरे और मूलभूत हैं, जो किसी अस्थायी सरकार से प्रभावित नहीं होंगे। हालांकि, वर्तमान में भारत-ढाका का अलग-थलग साझेदार बन गया है।