जीनोम एडिटिंग से ठीक होगा अल्जाइमर, हांग कांग यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने तैयार की नई तकनीक
एक अनुमान के अनुसार भारत में करीब 40 लाख और दुनियाभर में लगभग 4.4 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। चीन में तो करीब पांच लाख लोग ऐसे हैं जो आनुवंशिक कारणों से अल्जाइमर से पीड़ित हैं। इसे फैमिल्यल अल्जाइमर डिजीज (एफएडी) भी कहते हैं।

हांग कांग, एएनआइ। अल्जाइमर रोगियों के इलाज की एक नई तकनीक विकसित की गई है। हांग कांग यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी (एचकेयूएसटी) के विज्ञानियों के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इसके लिए मस्तिष्क में जीनोम एडिटिंग की तकनीक विकसित की है, जो फिलहाल चूहों में अल्जाइमर रोग को कम करने में सक्षम पाया गया है। आगे चलकर इसी तकनीक से इंसानों में भी अल्जाइमर का इलाज संभव हो सकता है। इस संबंध में किए गए शोध का निष्कर्ष 'नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग' जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
जीनोम एडिटिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसके जरिये जीव के विशिष्ट जीनोमिक डीएनए को हटाकर, प्रत्यारोपित कर या बदलकर उसमें अपेक्षित सुधार किया जाता है।
बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसा रोग है, जिसमें याददाश्त की कमी, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत और फिर इसकी वजह से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में करीब 40 लाख और दुनियाभर में लगभग 4.4 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। चीन में तो करीब पांच लाख लोग ऐसे हैं, जो आनुवंशिक कारणों से अल्जाइमर से पीड़ित हैं। इसे फैमिल्यल अल्जाइमर डिजीज (एफएडी) भी कहते हैं। आनुवांशिक कारणों से होने वाली इस बीमारी की पहचान इसके लक्षण दिखने से पहले भी हो जाती है, लेकिन इस समय इसका कोई प्रभावी इलाज नहीं है।
इस कारण जीनोम एडिटिंग तकनीक में आशा की एक नई किरण दिख रही है। यह रोग पैदा करने वाले जीनेटिक म्यूटेशन (आनुवंशिक उत्परिवर्तन) को रोग के लक्षण दिखने से पहले ही दुरुस्त किया जा सकता है, जिसका असर हमेशा के लिए या जीवनभर रह सकता है। हालांकि इस तकनीक के क्लिनिकल विकास में अभी कई बाधाएं हैं। जबकि मौजूदा तकनीक पूरे मस्तिष्क के लिए अपेक्षित तौर पर प्रभावी नहीं है।
एचकेयूएसटी के रिसर्च एंड डेवलपमेंट की वाइस प्रेसीडेंट प्रोफेसर नैंसी की अगुआई वाली टीम ने जीनोम एडिटिंग की एक ऐसी नई तकनीक विकसित की है, जो न सिर्फ रक्त और मस्तिष्क से जुड़ी जटिलताओं को पार सकती है, बल्कि पूरे मस्तिष्क के लिए जीनोम एडिटिंग का एक उपयुक्त साधन भी साबित हुआ है। जीन एडिटिंग के इस नए टूल के जरिये पूरे मस्तिष्क में प्रभावी तौर पर एकल नान-इनवेसिव (बिना सुई चुभाए) डोज से अपेक्षित परिणाम मिल सकता है। यह अल्जाइमर डिजीज (एडी) माउस माडल में एफएडी से प्रेरित म्यूटेशन को प्रभावी तरीके से रोकता है तथा पूरे मस्तिष्क में रोग वाले जीन में सुधार लाता है। इसलिए यह इस रोग के इलाज का एक नया तरीका हो सकता है।
शोध टीम ने यह भी पाया कि माउस माडल में एमिलायड प्रोटीन (न्यूरोडिजेनेरेटिव- न्यूरान को नुकसान पहुंचाने वाला) का स्तर इलाज के छह महीने बाद तक (जो कुल जीवन काल का करीब एक तिहाई है) कम बना रहा। इससे साबित होता है कि सिंगल शाट जीनोम एडिटिंग की रणनीति लंबी अवधि तक काम कर सकती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह देखी गई कि इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं दिखा।
प्रोफेसर नैंसी ने कहा कि अल्जाइमर मामले में पूरे मस्तिष्क में जीनोम एडिटिंग के जरिये रोग उन्मूलन का यह पहला प्रदर्शन वाकई उत्साहजनक है। जीनोम एडिटिंग का हमारा यह अध्ययन आनुवंशिक दिमागी बीमारी के इलाज में मील का पत्थर साबित होगा। इससे आनुवंशिक न्यूरोडिजेनेरेटिव रोगों की सही और सटीक दवा विकसित करने में मदद मिलेगी।
यह अध्ययन एचकेयूएसटी के विज्ञानियों ने कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी तथा चाइनीज एकेडमी आफ साइंस के शेनझेन इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड टेक्नोलाजी के सहयोग से किया।
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