ड्रोन और हेलीकॉप्टर से जंगलों में छोड़े जा रहे मच्छर... इस खतरनाक बीमारी से लड़ेंगे जंग
हवाई के जंगलों में ड्रोन और हेलीकॉप्टर से हजारों विशेष मच्छर छोड़े जा रहे हैं। ये मच्छर एवियन मलेरिया से लड़ने में मदद करेंगे, जो हवाई के हनीक्रीपर पक्षियों के लिए खतरा है। वोलबैकिया से उपचारित ये मच्छर जंगली मच्छरों की आबादी को कम करेंगे, जिससे पक्षियों को बचाने में मदद मिलेगी। इस अभियान का उद्देश्य लुप्तप्राय हनीक्रीपर प्रजातियों को संरक्षित करना है।

हवाई में मच्छरों का अनोखा अभियान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हवाई के जंगलों में एक अनोखा अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद से हजारों मच्छर छोड़े जा रहे हैं।
ये मच्छर न काटने वाले और लैब में पाले गए हैं, जिनका इलाज एक कुदरती बैक्टीरिया (वोलबैकिया) से किया गया है। इसका उद्देश्य है हवाई के देसी हनीक्रीपर पक्षियों को बचाना है जो एवियन मलेरिया के कारण खतरे में हैं।
मच्छरों की आबादी को कम करने का अभियान
इस साल जून में, दर्जनों बायोडिग्रेडेबल पॉड्स, जिनमें से हर एक में लगभग 1,000 न काटने वाले मच्छर थे, दूर-दराज के जंगली इलाकों में गिराए गए।
इन मच्छरों का इलाज वोलबैकिया से किया गया है, जिसका मतलब है कि जब वे जंगली मादाओं के साथ मेटिंग करते हैं तो अंडे से बच्चे नहीं निकलते। इससे जंगली मच्छरों की आबादी कम होने की उम्मीद है, जो एवियन मलेरिया फैलाते हैं।
हनीक्रीपर पक्षियों का भविष्य खतरे में
हवाई में कभी 50 से ज़्यादा हनीक्रीपर प्रजातियां थीं, लेकिन आज सिर्फ 17 बची हैं और ज्यादातर खतरे में हैं। ये पक्षी कल्चर के हिसाब से अहम हैं, और पॉलिनेटर और बीज फैलाने वाले के तौर पर, इकोलॉजिकल तौर पर अहम भूमिका निभाते हैं।
समाधान की तलाश
एबीसी और बर्ड्स, नॉट मॉस्किटोज साझेदारी ने 2016 में असंगत कीट तकनीक की ओर रुख किया, और अब हर हफ्ते माउई में लगभग 500,000 मच्छर और काउई में भी इतने ही मच्छर छोड़ते हैं। इसके लिए वे हेलीकॉप्टर और ड्रोन दोनों का इस्तेमाल करते हैं।

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