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    Gotabaya Rajapaksa's Return: गोटाबाया राजपक्षे अगले सप्ताह श्रीलंका लौटने के लिए हैं तैयार: रिपोर्ट

    श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अगले सप्ताह द्वीप राष्ट्र लौटने के लिए तैयार हैं। बता दें कि श्रीलंका में बिगड़े हालातों के कारण जुलाई में उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया था जिसके कारण वह देश छोड़ कर चले गए थे।

    By Versha SinghEdited By: Updated: Thu, 18 Aug 2022 09:44 AM (IST)
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    गोटाबाया राजपक्षे अगले सप्ताह श्रीलंका लौटने के लिए हैं तैयार

    कोलंबो (श्रीलंका), एजेंसी। Gotabaya Rajapaksa's Return: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Former Sri Lankan President Gotabaya Rajapaksa) अगले सप्ताह द्वीप राष्ट्र लौटने के लिए तैयार हैं। बता दें कि श्रीलंका में बिगड़े जुलाई में  उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया था, जिसके कारण वह देश छोड़ कर चले गए थे।

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    डेली मिरर ने बुधवार को कहा कि रूस में श्रीलंका के पूर्व राजदूत उदयंगा वीरातुंगा (Former Sri Lankan Ambassador Udayanga Veeratunga), जो गोटाबाया से भी संबंधित हैं, ने संकेत दिया है कि राजपक्षे 24 अगस्त को देश लौट आएंगे।

    श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट (economic crisis in sri lanka) का सामना कर रहा है, जिसके कारण देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसके कारण राजपक्षे देश छो़ड़ कर विदेश भागने के लिए मजबूर हो गए थे और पिछले महीने अपना इस्तीफा भी सौंप दिया था।

    राजपक्षे की वापसी (Gotabaya Rajapaksa's return) पर एक सवाल के जवाब में, वीरतुंगा ने कहा, तारीख बदल सकती है। आज मैं ये जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं, लेकिन अगर वह बाद में तारीख बदलते हैं तो मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता।

    यह पूछे जाने पर कि क्या गोटबाया राजपक्षे फिर से राजनीति में शामिल होंगे, वीरतुंगा ने कहा कि वह एक चतुर राजनेता नहीं बल्कि एक चतुर अधिकारी थे।

    उन्होंने डेली मिरर के हवाले से कहा, मुझे नहीं लगता कि हमारे लोगों को फिर से मूर्ख बनना चाहिए। वह एक राजनेता के रूप में एक चतुर व्यक्ति नहीं है, वह एक चतुर सैन्य अधिकारी है। उनके पास महिंदा राजपक्षे जैसा कोई गुण नहीं है। इसलिए उन्होंने सब गलत किया। वीरतुंगा ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे देश की सेवा करेंगे।

    गौरतलब है कि गोटाबाया राजपक्षे पिछले हफ्ते सिंगापुर से रवाना होने के बाद थाईलैंड पहुंचे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रीलंकाई सरकार के अनुरोध के बाद उन्हें थाईलैंड में प्रवेश दिया गया था।

    करीब एक महीने तक सिंगापुर में रहने के बाद उन्होंने पिछले गुरुवार को सिंगापुर छोड़ दिया। पूर्व राष्ट्रपति को पिछले महीने मालदीव से सिंगापुर के चांगी हवाई अड्डे पर पहुंचने पर 14 दिनों का यात्रा पास जारी किया गया था और उन्हें वहां दो सप्ताह तक रहने की अनुमति दी गई थी।

    थाईलैंड ने इस बात से इनकार किया है कि श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति (Former President of Sri Lanka) ने देश में शरण मांगी है। थाईलैंड के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हें राजपक्षे से राजनीतिक शरण मांगने के इरादे से देश की यात्रा करने का अनुरोध मिला है।

    डेली मिरर ने थाईलैंड मंत्रालय के प्रवक्ता तनी संग्रत के हवाले से बताया कि थाईलैंड को राजपक्षे के राजनयिक पासपोर्ट में प्रवेश करने में कोई समस्या नहीं थी, जो उन्हें 90 दिनों तक रहने की अनुमति देगा।

    मालदीव के बाद थाईलैंड दूसरा दक्षिण पूर्व एशियाई देश होगा जहां बड़े पैमाने पर विरोध के बीच पिछले महीने अपने द्वीप राष्ट्र से भागने के बाद राजपक्षे अस्थायी आश्रय की मांग कर रहे हैं।

    श्रीलंकाई संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अबेवर्धने ने 15 जुलाई को राजपक्षे के आधिकारिक इस्तीफे की घोषणा की। गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद, रानिल विक्रमसिंघे (Sri Lankan President Ranil Wickremesinghe) ने 21 जुलाई को संसद में श्रीलंका के राष्ट्रपति (Sri Lankan President) के रूप में शपथ ली थी।

    विक्रमसिंघे को पहले श्रीलंका के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया था क्योंकि अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच नाराज प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके महल पर धावा बोलने के बाद राजपक्षे विदेश भाग गए थे।