G-20 Summit: अमेरिकी नाराजगी के बावजूद भारत करेगा यह काम, दक्षिण अफ्रीका को होगी सहूलियत
G-20 Summit दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में जी-20 विदेश मंत्रियों की पहली बैठक होने जा रही है। इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी हिस्सा लेंगे। विदेश मंत्री जी-20 देशों के साथ भारत के संवाद को बढ़ाएंगे इस बैठक में भारत अमेरिका की नाराजगी के बावजूद एजेंडा तय करने में दक्षिण अफ्रीका की मदद करेगा। एजेंडा एक दो दिन में तय होने की उम्मीद है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई आक्रामक कूटनीति की छाया एक दिन बार शुरू हो रही जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक पर भी पड़ने जा रही है। दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में होने जा रही इस बैठक का एजेंडा क्या होगा, यह अगले दो-तीन दिनों में तय हो जाएगा।
अमेरिका की नाराजगी के बावजूद भारत इस साल की जी-20 सम्मेलन का एजेंडा तय करने में दक्षिण अफ्रीका की मदद करेगा। भारत की पूरी कोशिश होगी कि दक्षिण अफ्रीका में होने वाली जी-20 बैठक में विकासशील देशों से जुड़े मुद्दों पर फोकस बढ़े और वर्ष 2023 में भारत ने अपनी अध्यक्षता में जिन मुद्दों को आगे बढ़ाया था, उन्हें मुकाम तक पहुंचाया जा सके।
जयशंकर की अगुवाई में टीम लेगी बैठक में हिस्सा
विदेश मंत्री एस जयशंकर की अगुवाई में एक टीम इस बैठक में हिस्सा लेगी। अमेरिका ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उसके विदेश मंत्री मार्को रुबियो इसमें हिस्सा नहीं लेंगे। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है
'20-21 फरवरी, 2025 को विदेश मंत्री जयशंकर जोहांसबर्ग में होने वाली जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। वह जी-20 देशों के साथ भारत के संवाद को बढ़ाएंगे और इस महत्वपूर्ण मंच पर विकासशील व गरीब देशों से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे।'
भारत ने दिया यह संकेत
भारत की तरफ से पहेल ही यह संकेत दिया गया है कि पर्यावरण सुरक्षा के लिए आवश्यक फंड जुटाने और विकासशील देशों से जुड़े मुद्दों को लेकर वह इस बार भी जी-20 में अपनी आवाज उठाएगा। वैसे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने भी इन दोनों मुद्दों को अपना समर्थन देने की बात कही है।
ब्राजील ने इन मुद्दों को एजेंडे में किया था शामिल
वर्ष 2024 में जी-20 की अध्यक्षता करने वाले ब्राजील ने भी इन दोनों मुद्दों को एजेंडा में शामिल किया था लेकिन कुछ विकसित देशों के विरोध की वजह से इस बारे में पूरी सहमति नहीं बन पाई है। इसी तरह से दक्षिण अफ्रीका की तरफ से क्रिटिकल मिनिरल्स को लेकर ज्यादा व्यापक एजेंडे को शामिल करने की कोशिश की जाएगी।
दक्षिण अफ्रीका चाहता है हितों की रक्षा
- दक्षिण अफ्रीका चाहता है कि क्रिटिकल मिनिरल्स जिन देशों के पास है उनकी हितों की रक्षा हो और उन पर दूसरे देशों की कंपनियों का वर्चस्व ना हो। भारत इस बारे में भी दक्षिण अफ्रीका के साथ है।
- विदेश मंत्री जयशंकर की वहां दूसरे देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक भी होगी। खबर लिखे जाने तक जो सूचना मिली है कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की संभावना है।
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