मैक्रों की बढ़ी मुसीबत! अब फिर ढूंढ़ना पड़ेगा नया प्रधानमंत्री, एक साल के भीतर ही बर्खास्त हुई फ्रांस सरकार
फ्रांस की संसद ने प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बेरो की सरकार को नौ महीने में ही हटा दिया जिससे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को उत्तराधिकारी खोजने में मुश्किल होगी। बेरो ने बजट पर गतिरोध खत्म करने के लिए विश्वास मत कराने का फैसला किया था जिसके तहत फ्रांस के कर्ज को कम करने के लिए 44 बिलियन यूरो की कटौती की योजना थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फ्रांस की संसद ने सोमवार को प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बेरो की सरकार को महज नौ महीने में ही हटा दिया, जिससे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को उत्तराधिकारी खोजने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और देश एक नए राजनीतिक संकट में फंस गया।
बैरो ने अपने सहयोगी दलों को भी चौंका दिया। उन्होंने अपने कड़े बजट पर लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए विश्वास मत कराने का फैसला किया, जिसके तहत फ्रांस के बढ़ते कर्ज को कम करने के लिए लगभग 44 बिलियन यूरो (52 बिलियन डॉलर) की लागत में कटौती की योजना है।
फ्रांस के पीएम को देना होगा इस्तीफा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बेरो मंगलवार (09 सितंबर, 2025) को इस्तीफा दे देंगे। नेशनल असेंबली में हुए वोटिंग में 364 प्रतिनिधियों ने सरकार पर अपना अविश्वास जताया, जबकि केवल 194 ने सरकार पर विश्वास जताया। स्पीकर याएल ब्राउन पिवेट ने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 50 के अनुसार, प्रधानमंत्री को अपनी सरकार का इस्तीफा देना होगा।"
मैक्रों की क्यों बढ़ी मुसीबत?
बैरो मैक्रों के 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद छठे प्रधानमंत्री हैं, लेकिन 2022 से अब तक वे पांचवें प्रधानमंत्री हैं। बैरो को हटाए जाने से फ्रांस के राष्ट्रपति को घरेलू मामलों में एक नई समस्या का सामना करना पड़ेगा, जबकि वह यूक्रेन युद्ध पर राजनयिक प्रयासों का नेतृत्व कर रहे हैं।
अपना बचाव करते हुए बेरो ने नेशनल असेंबली से कहा, "सबसे बड़ा जोखिम यह था कि विश्वास मत न लिया जाए, जिससे चीजें बिना किसी बदलाव के चलती रहें और सब कुछ पहले जैसा ही रहे।"
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