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    ब्रह्मांड में तेजी से बढ़ रहा है इस ब्लैकहोल का आकार, ....तो पृथ्वी पर खत्म हो जाएगा जीवन!

    By Srishti VermaEdited By:
    Updated: Wed, 16 May 2018 05:46 PM (IST)

    वैज्ञानिकों का कहना है कि इस ब्लैक होल का आकार काफी तेजी से बढ़ रहा है और एक पूरी आकाशगंगा से हजारों गुना ज्यादा इसकी चमक है।

    ब्रह्मांड में तेजी से बढ़ रहा है इस ब्लैकहोल का आकार, ....तो पृथ्वी पर खत्म हो जाएगा जीवन!

    मेलबर्न (प्रेट्र)। वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में सबसे तेजी से बढ़ने वाले ब्लैक होल का पता लगाया है। इसके बारे में विस्तार से बताते हुए ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक ऐसा विशाल खगोलीय पिंड है जो हर दो दिन में सूरज के जितने वजन के खगोलीय पिंड को निगल सकता है।

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    वैज्ञानिकों ने 120 साल से अधिक समय पहले के दौरान की शोध की है जब पूरा ब्रह्मांड एक काले घुप्प अंधेरे में हुआ करता था। उस दौरान इस विशाल दानवाकार ब्लैक होल का आकार 20 अरब सूरज के बराबर था। हर 10 साल में 1 फीसद की दर से इसके आकार में वृद्धि होती रही। लेकिन हाल के वर्षों में इसके आकार में वृद्धि बड़ी तेजी से हो रही है।

    ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के क्रिश्चियन वोल्फ ने कहा है कि इस ब्लैक होल का आकार काफी तेजी से बढ़ रहा है और एक पूरी आकाशगंगा से हजारों गुना ज्यादा इसकी चमक है। हर दिन जितनी मात्रा में गैसों का ये अवशोषण करता है उससे ब्रह्मांड में गर्मी काफी तेजी से बढ़ रही है।  

    उन्होंने कहा कि अगर ये हमारे दूधिया आकाशगंगा (मिल्की वे हमारी आकाशगंगा, जिसमें पृथ्वी और सौरमंडल स्थित है) के बीच स्थित हो जाए तो ये चंद्रमा से 10 गुना ज्यादा रोशनी देगा। इसकी चमक इतनी ज्यादा होगी कि ये आसमान में उपस्थित सारे तारों की चमक को खत्म कर सकता है।

    'कासर' नाम से खोजे गए इस ब्लैक होल से निकलने वाली उर्जा ज्यादातर पराबैंगनी किरणों से निकलने वाली होती है साथ ही इसमें एक्स-रे किरणें भी होती है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर ये पृथ्वी के समक्ष स्थित दूधिया आकाशगंगा के पास स्थापित हो जाए तो इससे निकलने वाली अधिकतम हानिकारक और जहरीली उर्जा से धरती पर जीवन बचने की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।

    उनका कहना था कि जिस तरह से ब्रह्मांड का आकार, रंग और दिशा समय समय पर बदलता रहता है उसी प्रकार इस पिंड के भी स्वभाव बदल रहे हैं। कहा कि इस तरह के ब्लैक होल्स ब्रह्मांड में काफी दुर्लभ होते हैं। उन्होंने बताया कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी गैया सैटेलाइट की मदद से इस सुपरमासिव ब्लैक होल का पता लगाया गया।