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    यूरोप में प्रवासियों के खिलाफ राजनीति तेज, नीतियों में भी बढ़ी सख्ती

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 08:30 PM (IST)

    यूरोप में प्रवासियों के खिलाफ राजनीतिक बयानबाजी और नीतियां सख्त हो रही हैं। ब्रिटेन जैसे देशों में प्रवासी-विरोधी प्रदर्शन हुए हैं। विशेषज्ञ इसे दक्षि ...और पढ़ें

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    यूरोप में प्रवासियों के खिलाफ राजनीति तेज। (रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूरोप भर में प्रवासियों और प्रवासी पृष्ठभूमि वाले समुदायों के खिलाफ राजनीतिक बयानबाजी और नीतियां तेजी से सख्त होती जा रही हैं। ब्रिटेन सहित कई देशों में हाल के महीनों में बड़े पैमाने पर प्रवासी-विरोधी प्रदर्शन हुए हैं, जहां “उन्हें वापस भेजो'' जैसे नारे लगाए गए।

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    विशेषज्ञों का कहना है कि यह रुझान दक्षिणपंथी दलों के उभार और प्रवासन को लेकर बढ़ती राजनीतिक चिंता का परिणाम है। ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में वे राजनीतिक दल जनमत सर्वेक्षणों में आगे चल रहे हैं, जो सामूहिक निर्वासन और प्रवासन को राष्ट्रीय पहचान के लिए खतरा बताते हैं। ब्रिटेन की रिफॉर्म यूके, जर्मनी की अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी और फ्रांस की नेशनल रैली इस प्रवृत्ति के प्रमुख उदाहरण हैं।

    अमेरिकी शह पर यूरोप में बढ़ा विरोध विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की सख्त प्रवासी-विरोधी भाषा और नीतियों ने भी यूरोप में इस तरह की भावनाओं को बल दिया है। ट्रंप प्रशासन की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में यूरोपीय देशों को प्रवासन के कारण “आर्थिक गिरावट'' और “सभ्यतागत क्षरण'' से जूझता बताया गया है। ट्रंप ने स्वयं सोमालियाई प्रवासियों को अमेरिका में कचरा बता दिया था।

    यूरोप में पिछले एक दशक में प्रवासन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसका एक कारण अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूक्रेन के संघर्षों से आए शरणार्थी हैं। हालांकि शरणार्थी कुल प्रवासन का छोटा हिस्सा हैं, फिर भी आर्थिक ठहराव, सोशल मीडिया पर ध्रुवीकरण और करिश्माई राष्ट्रवादी नेताओं के उभार ने प्रवासी-विरोधी भावनाओं को हवा दी है।

    ब्रिटेन में बढ़े घृणा अपराध के मामले ब्रिटेन में पुलिस आंकड़ों के अनुसार मार्च 2025 तक के एक वर्ष में 1.15 लाख से अधिक घृणा अपराध दर्ज किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में दो प्रतिशत अधिक हैं। जुलाई 2024 में तीन बच्चियों की हत्या के बाद फैली अफवाहों ने भी हिंसक प्रवासी-विरोधी प्रदर्शनों को जन्म दिया।

    किंग्स कॉलेज लंदन की पॉलिसी यूनिट के डायरेक्टर बॉबी डफी ने कहा कि ब्रिटेन में देशव्यापी विभाजन और गिरावट की भावना में खतरनाक बढ़ोतरी हो रही है और यह लोगों को राजनीतिक चरमपंथ की ओर धकेल रहा है।

    अश्वेत ब्रिटिश सांसद डॉन बटलर का कहना है कि देश में विभाजन और बदतर हुआ है और ये तेजी से बढ़ रहा है। यहां तक की हत्या की धमकी भी मिलती है। शरणार्थियों के लिए बढ़ाईं मुश्किलें मुख्यधारा के राजनीतिक दल भी अब सख्त रुख अपना रहे हैं। ब्रिटेन की लेबर सरकार और डेनमार्क जैसे देशों ने स्थायी निवास को कठिन बनाने और निर्वासन को आसान करने की नीतियां अपनाई हैं।

    मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि दक्षिणपंथ को संतुष्ट करने की कोशिशें और अधिक कट्टर मांगों का रास्ता खोलती हैं।विशेषज्ञों ने चेताया है कि जिम्मेदार राजनीतिक भाषा और संतुलित नीतियों के बिना यह बढ़ती विभाजनकारी राजनीति यूरोप के सामाजिक ताने-बाने को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।

    क्वींस यूनिवर्सिटी बेलफास्ट में ब्रिटिश इतिहास के लेक्चरर कीरन कोनेल ने कहा, जिसे कभी धुर-दक्षिणपंथी राजनीति का सबसे आखिरी छोर माना जाता था, वह अब राजनीतिक बहस का एक अहम हिस्सा बन गया है।"

    (समाचार एजेंसी एपी के इनपुट के साथ)