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    चीनी कम्‍युनिस्‍ट शासन के खिलाफ आगे आया EU, अमेरिका के साथ मोर्चा बनाने का आह्वान

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Wed, 17 Jun 2020 01:58 PM (IST)

    यूरोपीय संघ के मुख्‍य राजनयिक ने यूरोप और अमेरिका के बीच वार्ता का आह्वान किया है। इसका मकसद चीन की कम्‍युनिस्‍ट शासन के खिलाफ दोनों पक्षों के बीच एक मत तैयार करना है।

    चीनी कम्‍युनिस्‍ट शासन के खिलाफ आगे आया EU, अमेरिका के साथ मोर्चा बनाने का आह्वान

    ब्रुसेल्‍स, एजेंसी। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा विवाद के बीच यूरोपीय संघ के मुख्‍य राजनयिक ने यूरोप और अमेरिका के बीच वार्ता का आह्वान किया है। इसका मकसद चीन की कम्‍युनिस्‍ट शासन के खिलाफ दोनों पक्षों के बीच एक मत तैयार करना है। बैंकॉक पोस्‍ट के अनुसार यूरोपीय संघ के विदेशी मामलों के उच्‍च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल ने कहा कि दोनों पक्षों के साझा मूल्‍यों और समान रुचियों के बचाव के लिए एक मंच पर आने की जरूरत है। खास बात यह है कि यूरोपीय यूनियन ने अमेरिका के साथ वार्ता का आह्वान ऐसे समय किया है, जब चीन ने भारत के साथ पूर्वी लद्दाख खूनी सघंर्ष कर रहा है।  

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    चीन के लिए अधिक मजबूत रणनीति की जरूरत 

    पत्रकारों से बातचीत करते हुए बोरेल ने कहा कि हमनें अमेरिका से चीन पर केंद्रित विशिष्ट द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने का सुझाव दिया है। उन्‍होंने कहा यूरोपीय संघ और अमेरिका के कार्यो और महत्‍वाकांक्षाओं से उत्‍पन्‍न चुनौतियों का समाना करने के लिए संयुक्‍त वार्ता जरूरी है। बोरेल ने सोमवार को 27 यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के साथ वीडियो वार्ता के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें चीन के लिए अधिक मजबूत रणनीति की जरूरत है, जिसमें बाकी लोकतांत्रिक एशिया के साथ बेहतर संबंधों की भी जरूरत है। 

    नों पक्षों में एक सामान्‍य आधार बनाए जाने पर जोर 

    उन्‍होंने साझा चिंताओं, मूल्‍यों, साझा रुचियां और रक्षा के लिए दोनों पक्षों में एक सामान्‍य आधार बनाए जाने पर जोर दिया। बोरेल ने कहा कि अब वक्‍त आ गया है कि इन साझा आधारों की तलाश की जाए। उन्‍होंने कहा कि यूरोपीय संघ के लिए यह जरूरी है वह अमेरिका के साथ रहे। हालांकि, बोरेल की इस बयान पर अमेरिका ने काई त्‍वरित टिप्‍पणी नहीं की है। इसी सम्मेलन में बोलते हुए जर्मन विदेश मंत्री हेइको मास ने बोरेल के आह्वान को जायज ठहराया है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना वायरस के शुरुआत चीन से हुई है। चीन में पारदर्शिता की कमी के चलते यह दुनिया में फैल चुका है।