Rosetta Stone: मिस्त्र की ब्रिटिश संग्रहालय से रोसेटा स्टोन वापस लौटाने की मांग, पुरातत्वविदों ने किया समर्थन
मिस्त्र के लोग रोसेटा स्टोन को लगभग 200 साल बाद ब्रिटेन से वापस लाना चाहते हैं। मिस्त्र के प्रमुख पुरातत्वविदों ने ब्रिटेन से मांग की है कि इसे मिस्त्र को लौटाया जाना चाहिए। यह स्टोन इस समय ब्रिटिश संग्रहालय में है।

काइरो, रायटर: मिस्त्र के लोग रोसेटा स्टोन को लगभग 200 साल बाद ब्रिटेन से वापस लाना चाहते हैं। मिस्त्र के प्रमुख पुरातत्वविदों ने ब्रिटेन से मांग की है कि इसे मिस्त्र को लौटाया जाना चाहिए। यह स्टोन इस समय ब्रिटिश संग्रहालय में है। इसके लिए पुरातत्वविदों के आनलाइन अभियान ने अब तक 2,500 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। रोसेटा स्टोन 196 ईसा पूर्व की है। 1799 में उत्तरी मिस्त्र में नेपोलियन की सेना ने इसका पता लगाया था। यह 1801 की अलेक्जेंड्रिया की संधि के तहत नेपोलियन की हार के बाद इस स्टोन को ब्रिटेन ने अपने कब्जे में ले लिया। इसे 1802 से ब्रिटिश संग्रहालय में रखा गया है। इस स्टोन पर तीन अलग अलग भाषाओं में एक ही संदेश लिखा है।
नेपोलियन ने खोजा था रोसेटा स्टोन
रोसेटा स्टोन 196 ईसा पूर्व की है और 1799 में उत्तरी मिस्र में नेपोलियन की सेना द्वारा इसका पता लगाया गया था। यह 1801 की अलेक्जेंड्रिया की संधि के तहत नेपोलियन की हार के बाद फ्रांसीसी द्वारा पाई गई अन्य प्राचीन वस्तुओं के साथ ब्रिटिश संपत्ति बन गई और इसे ब्रिटेन भेज दिया गया। इसे 1802 से ब्रिटिश संग्रहालय में रखा गया है। चित्रलिपि, डेमोटिक और प्राचीन ग्रीक में एक ही पाठ के शिलालेख, इसका उपयोग फ्रांसीसी जीन-फ्रेंकोइस चैंपोलियन द्वारा 1822 से चित्रलिपि को समझने के लिए किया गया था। जिससे प्राचीन मिस्र की भाषा और संस्कृति की समझ खुल गई थी।
पुरातत्वविदों पहले भी रखी है वापसी की मांग
मिस्र के पुरातत्वविदों ने पहले भी इसकी वापसी का आह्वान किया है, लेकिन अब उम्मीद जताई जा रही है कि पश्चिमी संग्रहालयों द्वारा औपनिवेशिक शासन के तहत गुलाम देशों से लाई गई कलाकृतियों को वापस करने के लिए बढ़ते कदमों से उन्हें मदद मिलेगी। वहीं ब्रिटिश संग्रहालय के प्रवक्ता ने कहा कि रोसेटा स्टोन की वापसी के लिए मिस्र सरकार से कोई औपचारिक अनुरोध नहीं किया गया है।
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