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    कौन हैं इकोनॉमिक्स का नोबेल पाने वाले अर्थशास्त्री, किस शोध के लिए मिला पुरस्कार? पूरी डिटेल 

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    इस वर्ष अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जोएल मोकिर, फिलिप अघियन और पीटर होविट को दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार नवाचार से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के सिद्धांत के लिए मिला है। नोबेल समिति के अनुसार, नवाचार आर्थिक प्रगति का इंजन है और नई तकनीक पुरानी तकनीक को बदल देती है। उनके शोध के अनुसार, अनुसंधान और विकास में निवेश करना सतत आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।

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    पुरस्कार के तहत 11 मिलियन क्रोन (लगभग 10.63 करोड़ रुपये) रुपये दिए जाते हैं (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस साल के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए जोएल मोकिर, फिलिप अघियन और पीटर होविट को चुना गया है। नोबेल समिति ने बताया कि इन अर्थशास्त्रियों ने बताया कि नवाचार से कैसे आर्थिक विकास का रास्ता खुलता है। तकनीक तेजी से बदलती है और हम सभी पर असर डालती है। नवाचार ही आर्थिक प्रगति का इंजन है।

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    रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के मुताबिक पुरस्कार का आधा हिस्का मोकिर को 'तकनीकी प्रगति के माध्यम से सतत विकास की जरूरी शर्तों की पहचान के लिए' और शेष आधा पुरस्कार संयुक्त रूप से अघियन और होविट को 'रचनात्मक विध्वंस के माध्यम से सतत विकास के सिद्धांत के लिए' दिया जाएगा।

    10.63 करोड़ रुपये का पुरस्कार

    बता दें कि पुरस्कार के तहत 11 मिलियन क्रोन (लगभग 10.63 करोड़ रुपये) रुपये दिए जाते हैं। समिति के अध्यक्ष जान हैसलर ने विजेताओं की घोषणा करते हुए कहा कि अर्थशास्त्रियों ने दिखाया आर्थिक विकास को हल्के में नहीं लिया जा सकता। हमें रचनात्मक विध्वंस के मूल तंत्र को बनाए रखना होगा, ताकि हम फिर से गतिरोध में न फंस जाएं। नई तकनीक पुरानी को बदल देती है। 1992 में अर्थशास्त्रियों ने एक गणितीय मॉडल तैयार किया था, जिसे रचनात्मक विध्वंस कहा गया। इसके मुताबिक, बाजार में जब भी नया और बेहतर उत्पाद प्रवेश करता है तो कंपनियों के पुराने उत्पाद बिकना बंद हो जाते हैं।

    नवाचार नएपन का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इसे रचनात्मक कहा जाता है। हालांकि, ये विध्वंसक भी होता है क्योंकि जिस कंपनी की तकनीक पुरानी हो जाती है, वह प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाती है। अघियन और होविट का मॉडल दिखाता है कि अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) में निवेश कितना जरूरी है। नए के आने और पुराने के खत्म होने का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता। पूरी दुनिया में सतत आर्थिक विकास का यही आधार है, जिससे लोगों के जीवन, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।

    सतत विकास ही न्यू नॉर्मल

    जोएल मोकिर ने ऐतिहासिक स्त्रोतों के जरिये ये साबित किया कि सतत विकास कैसे न्यू नॉर्मल बन जाता है। उन्होंने दिखाया कि यदि नवाचारों को खुद से विकसित होने की प्रक्रिया में एक दूसरे से आगे बढ़ना है, तो हमें वैज्ञानिक आधार पर ये जानना होगा कि कोई चीज क्यों और कैसे काम करती है।

    औद्योगिक क्रांति से पहले वैज्ञानिक स्पष्टीकरण अक्सर कम होते थे, जिससे नई खोजों को आगे बढ़ाना मुश्किल रहता था। उन्होने जोर दिया कि समाज को भी नए विचारों को स्वीकार करने और बदलाव के लिए तैयार रहना होगा।

    कौन हैं नोबेल विजेता?

    अर्थशास्त्री मोकिर (79) का जन्म नीदरलैंड्स में 1946 में हुआ था। उन्होंने येल यूनिवर्सिटी से अपनी पीएचडी पूरी की और वर्तमान में अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। वह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की संरक्षणवाद की नीतियों के प्रबल विरोधी हैं। उनका मानना है कि वैश्विक विकास और नवाचार के लिए ये ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए खुलापन बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि यूरोप को हाईटेक इनोवेशन को बढ़ावा देकर अमेरिका व चीन का एकाधिकार तोड़ना चाहिए।

    फिलिप अघियन (69) फ्रांसीसी मूल के अर्थशास्त्री हैं, जिनका जन्म 1956 में पेरिस में हुआ था। उन्होंने कैंब्रिज स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वह कॉलेज डी फ्रांस और इनसीड, पेरिस और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पोलिटिकल साइंस, यूके में प्रोफेसर हैं। अघियन ने साल 2017 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों के चुनाव अभियान के दौरान उनकी आर्थिक नीतियां तैयार करने में मदद की थी। वह फ्रांस को एआई के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कमिशन की सहअध्यक्षता भी कर रहे हैं।

    पीटर होविट (79) का जन्म 1946 में कनाडा में हुआ और उन्होंने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। फिलहाल वह अमेरिकी की ब्राउन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं।

    2024 में किसने जीता था अर्थशास्त्र का नोबेल?

    पिछले वर्ष, डैरन ऐसमोग्लू, साइमन जानसन और जेम्स रॉबिन्सन को असमानता पर काम करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने इस विषय पर काम किया था कि संस्थाएं कैसे बनाई जाती हैं और देश की समृद्धि में किस प्रकार योगदान करती हैं। जानसन से खास तौर पर साबित किया कि किस प्रकार ताकतवर अभिजात्य वर्ग तकनीकी नवाचार का लाभ उठाता है।

    (न्यूज एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)