Durga Puja 2025: बांग्लादेश में कैसी चल रही है दुर्गा पूजा की तैयारी, क्या हैं हिंदुओं के लिए चुनौतियां?
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा भक्ति और उत्सव का प्रतीक है पर इस साल अल्पसंख्यकों में डर का माहौल है। शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है। 33000 से ज्यादा मंडप बनाए जा रहे हैं और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। रोकेया प्राची ने स्थिति को 1971 से भी बदतर बताया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में भक्ति, रंग और उत्सव का प्रतीक, दुर्गा पूजा, एक बार फिर सांस्कृतिक चर्चा के केंद्र में है। बांग्लादेश के लगभग 1.3 करोड़ हिंदूओं के लिए यह केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परंपरा की जीवंत अभिव्यक्ति है।
ढाका से लेकर सिलहट और राजशाही से लेकर चटगांव तक, मां दुर्गा की मूर्तियां बनाई जा रही हैं, पंडाल सजाए जा रहे हैं, और परिवार अनुष्ठानों और भोज की तैयारी कर रहे हैं। ढाक, धूप और मंत्रों की ध्वनि आमतौर पर एकता और उत्सव का माहौल बनाती है।
लेकिन इस साल यह त्योहार चिंता का विषय लेकर आया है, क्योंकि शेख हसीना की सरकार के पतन और सांप्रदायिक हिंसा की लहर के बाद अल्पसंख्यक में डर का माहौल है।
हसीना के जाने के बाद भी डर बरकरार
अल्पसंख्यकों में ये डर अगस्त 2024 से शुरू हुआ जब, लगभग 15 सालों तक बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज शेख हसीना को छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन के बीच सत्ता से बेदखल कर दिया गया। उनके जाने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया। लेकिन इस बदलाव ने अल्पसंख्यकों के लिए एक खौफनाक अध्याय का नया दौर शुरू कर दिया।
- 5 अगस्त को अवामी लीग सरकार के पतन के बाद, अल्पसंख्यक समुदायों को केवल दो सप्ताह में 2,000 से अधिक हमलों का सामना करना पड़ा, जिनमें मंदिरों पर 69 हमले शामिल थे।
- पांच हिंदुओं की हत्या कर दी गई तथा कई महिलाओं को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा; बर्बरता और लूटपाट व्यापक स्तर पर हुई।
- सितम्बर और अक्टूबर में पबना और अन्य जिलों में मूर्तियों को तोड़ा गया।
- खुलना में जबरन वसूली के पत्रों और धमकियों के कारण कुछ पूजा समितियों को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा।
- पुराने ढाका में पूजा पंडालों पर पेट्रोल बम फेंके गए, जिसके परिणामस्वरूप भगदड़ मच गई।
- प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भेंट किया गया देवी काली का मुकुट सतखीरा के जेशोरेश्वरी मंदिर से चोरी हो गया।
- इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास को 2024 में भगवा ध्वज फहराने के बाद राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसकी व्यापक रूप से धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले के रूप में निंदा की गई थी।
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डर के माहौल में दुर्गा पूजा की तैयारी
बांग्लादेश में भय और डर के माहौल के बीच दुर्गा पूजा की तैयारियां चल रही हैं। 33,000 से ज्यादा मंडप बनाए जा रहे हैं, जिसमें से सैकड़ों राजशाही मंडप बनाए जा रहे हैं।
डिप्टी कमिश्नर आफिया अख्तर मे सुरक्षा के हर संभव उपाय सुनिश्चित किए हैं, जिसके लिए सीसीटीवी, पुलिस, आरएबी, अंसार और देशभर में 80,000 स्वयंसेवक तैनाक हैं। हालांकि, हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा, मंदिरों पर हमले और मूर्तियों के अपमान की घटनाओं को देखते हुए अल्पसंख्यकों में भय बना हुआ है।
बांग्लादेश की लोकप्रिय आवाजों ने जताई चिंता
बांग्लादेशी अभिनेत्री और आवामी लीग की नेता रोकेया प्राची को हाल ही में बढ़ती हिंसा का शिकार होना पड़ा, जब 15 अगस्त को शेख मुजीबुर रहमान के शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देते समय भीड़ ने उन पर हमला कर दिया।
प्राची ने इस माहौल को "1971 से भी ज्यादा खतरनाक" बताया और कहा कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है और बंगबंधु विरासत जैसे राष्ट्रीय प्रतीक खतरे में हैं।
हिंसा के खिलाफ एकजुट रहने की अपील
सुप्रसिद्ध भारतीय चित्रकार सुचेता दास चक्रवर्ती ने कहा, मैंने बांग्लादेश में व्यापक रूप से यात्रा की है और बढ़ते डर को देखा है। दुर्गा पूजा में लोगों की भागीदारी कम हो रही है और युवा पलायन कर रहे हैं। मैं अल्पसंख्यकों से हिंसा के खिलाफ एकजुट रहने की अपील करती हूं।"
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