Move to Jagran APP

श्रीलंका के 22वें संविधान संशोधन पर ससंद में रोकी जा सकती है बहस, अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा द्वीपीय देश

श्रीलंका के एक सांसद ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को बतायैा कि कल संसदीय समूह में चिंताओं को उठाया गया था। अधिकांश ने महसूस किया कि आर्थिक संकट और सुरक्षा की स्थिति को देखते हुए इसे स्थानांतरित करने का यह सही समय नहीं है।

By AgencyEdited By: Dhyanendra Singh ChauhanPublished: Tue, 04 Oct 2022 12:29 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 12:29 PM (IST)
श्रीलंका के 22वें संविधान संशोधन पर ससंद में रोकी जा सकती है बहस, अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा द्वीपीय देश
श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन

कोलंबो, पीटीआइ। अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के संविधान में 22वें संशोधन की बहस रोकी जा सकती है। समाचार एजेंसी पीटीआइ ने मंगलवार को सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। यह बहस संसद में 6 और 7 अक्टूबर को होनी है। 22वें संशोधन पर मसौदा विधेयक को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी और अगस्त में राजपत्रित किया गया था। 22वें संशोधन को मूल रूप से 21A नाम दिया गया और इसका मतलब 20A को बदलना था।

loksabha election banner

देश में चल रही आर्थिक उथल-पुथल के बीच संशोधन तैयार किया गया था। इससे द्वीपीय देश में राजनीतिक संकट भी पैदा हो गया था। यह 20A को बदलने के लिए है। इसमें 19वें संशोधन को समाप्त करने के बाद पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को निरंकुश अधिकार दिए गए थे।

वहीं, अब सूत्रों ने कहा कि अब सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (SLPP) पार्टी के भीतर असहमति के कारण विधेयक पर बहस ठप हो सकती है।

संसदीय समूह में चिंताओं को उठाया गया

श्रीलंका के एक सांसद ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को बतायैा कि कल संसदीय समूह में चिंताओं को उठाया गया था। अधिकांश ने महसूस किया कि आर्थिक संकट और सुरक्षा की स्थिति को देखते हुए इसे स्थानांतरित करने का यह सही समय नहीं है। हालांकि, न्याय और संवैधानिक मामलों के मंत्री विजेदासा राजपक्षे ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को बताया कि कुछ प्रावधानों के बारे में तीन या चार लोगों ने असहमति व्यक्त की थी।

चिंताओं पर चर्चा के लिए उन्होंने बुधवार को संसदीय समूह के साथ फिर से बैठक करने का फैसला किया है। इस बीच, राजपक्षे ने कहा कि दो दिवसीय बहस अभी भी जारी है।

पूर्ण कार्यकारी शक्तियां कर दी गईं थीं बहाल

बता दें कि 22A 2020 में अपनाए गए 20A को पूर्ववत करने के लिए है, जिससे तत्कालीन राष्ट्रपति राजपक्षे को पूर्ण कार्यकारी शक्तियां बहाल कर दी गईं थीं। राजपक्षे ने 20A के माध्यम से 19A की विशेषताओं को उलट दिया था जिसने राष्ट्रपति पद पर संसद को अधिकार दिया था।

गौरतलब है कि राजपक्षे को जुलाई के मध्य में देश की अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभालने के लिए उनके खिलाफ लोकप्रिय विद्रोह के माध्यम से बाहर कर दिया गया था। वहीं, अब उनके उत्तराधिकारी रानिल विक्रमसिंघे ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को पूरा करने के लिए सुधारों का वादा किया है।

यह भी पढ़ें : Russia vs Ukraine: NATO और पुतिन के बीच टकराव तेज, क्‍यों चिंतित हुए पश्चिमी देश- एक्‍सपर्ट व्‍यू

यह भी पढ़ें : Ecuador: लाटाकुंगा की जेल में कैदियों के बीच हिंसक झड़प, 15 की मौत; 21 घायल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.