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    डेटिंग एप्स का 'काला सच', Gen-Z को कंपनियां कैसे बना रही बेवकूफ? रोमांस के बहाने भर रही Dating Apps की तिजोरी

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 06:09 PM (IST)

    आज की Gen Z पीढ़ी के लिए ऑनलाइन डेटिंग महंगी और जटिल हो गई है, क्योंकि डेटिंग ऐप्स ने रोमांस को कमाई का जरिया बना दिया है और बेसिक फीचर्स क ...और पढ़ें

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    सोशल मीडिया पर ‘डेटिंग अप’ और फ्री विकल्पों का बढ़ा चलन (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज की Gen Z पीढ़ी के लिए ऑनलाइन डेटिंग आसान नहीं रह गई है। महंगाई और नौकरी की अस्थिरता ने युवाओं की जेब ढीली कर दी है। हालांकि, ग्राइंडर के CEO जॉर्ज एरिसन का कहना है कि समस्या सिर्फ पैसे की नहीं, बल्कि डेटिंग एप्स की नीतियों की भी है जिन्होंने रोमांस को कमाई का जरिया बना दिया है।

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    एरिसन के मुताबिक, पिछले एक दशक में डेटिंग एप्स ने फ्री सर्विस लगभग खत्म कर दी है। अब अनलिमिटेड मैसेज भेजने या अधिक प्रोफाइल देखने जैसे बेसिक फीचर्स के लिए भी यूजर्स को पैसे देने पड़ते हैं।

    Gen-Z फ्री वर्जन करते हैं इस्तेमाल

    एरिसन ने बताया कि अगर कोई पुरुष पैसे नहीं देता, तो एप्स पर उसका अनुभव लगभग बेकार हो जाता है। महिलाएं कुछ हद तक फ्री वर्जन इस्तेमाल कर सकती हैं, लेकिन उनकी भी सीमाएं तय हैं। उनके अनुसार, Gen-Z यूजर्स ज्यादातर मुफ्त वर्जन ही इस्तेमाल करते हैं और सुपर लाइक, अनिमिटेड चैटिंग या प्रोफाइल बूस्ट जैसे प्रीमियम फीचर्स की बिक्री में गिरावत आई है।

    अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम, स्नेपचैट और टिकटॉक पर डेटिंग ऐप का चलन बढ़ रहा है, जहां युवा अपने से 25% ज्यादा आकर्षक या सफल लोगों से जुड़ने की कोशिश करते हैं। साथ ही, कुछ एप्स ने प्राइवेसी और वेरिफिकेशन फीचर्स भी बढ़ाए हैं।

    इंस्टाग्राम पर बढ़ रहा डेटिंग का चलन

    लेकिन, अब ज्यादातर Gen-Z फ्री प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम या लिंक्डइन पर बातचीत शुरू करना पसंद करते हैं। रिसर्च बताती है कि डेटिंग एप्स से तनाव, असुरक्षा और FOMO (कुछ मिस करने का डर) बढ़ रहा है। लगातार स्वाइपिंग और मैचिंग से युवाओं में इमोशनल थकान भी देखने को मिल रही है।