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    Gotabaya Rajapaksa News: श्रीलंका के पूर्व राष्‍ट्रपति राजपक्षे पर संकट बरकरार, थाइलैंड सरकार ने नहीं दिया स्‍थाई वीजा

    श्रीलंका के पूर्व राष्‍ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की मुसिबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। सिंगापुर से थाइलैंड पहुंचे राजपक्षे को वहां का स्‍थाई वीजा नहीं मिला। थाईलैंड सरकार ने उनको अस्‍थाई वीजा दिया है। वह बैंकाक में भी ज्‍यादा दिन नहीं रह सकेंगे।

    By Ramesh MishraEdited By: Updated: Fri, 12 Aug 2022 04:59 PM (IST)
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    Gotabaya Rajapaksa News: श्रीलंका के पूर्व राष्‍ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पर संकट बरकरार। एजेंसी।

    कोलंबो, एजेसी। श्रीलंका के पूर्व राष्‍ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की मूसिबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। सिंगापुर से थाइलैंड पहुंचे राजपक्षे को वहां का स्‍थाई वीजा नहीं मिला। थाईलैंड सरकार ने उनको अस्‍थाई वीजा दिया है। इससे यह तय हो गया है कि वह बैंकाक में भी ज्‍यादा दिन नहीं रह सकेंगे। पूर्व राष्‍ट्रपति राजपक्षे सिंगापुर में 28 दिन रहने के बाद थाईलैंड पहुंचे हैं। सिंगापुर में वह परमानेंट रेसीडेंशियल परमिशन चाहते थे, लेकिन वहां की सरकार ने उन्हें यह मंजूरी नहीं दी। थाईलैंड के बारे में भी कहा जा रहा है कि राजपक्षे वहां कुछ दिन ही रह सकेंगे, क्योंकि उनके पास वहां का भी विजिटिंग वीजा ही है।

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    थाई सरकार ने पूर्व राष्‍ट्रपति को फ‍िलहाल विजिटिंग वीजा दिया

    थाइलैंड सरकार ने साफ किया है कि श्रीलंका के पूर्व राष्‍ट्रपति को फ‍िलहाल व‍िजिटिंग वीजा ही दिया गया है। थाई सरकार ने कहा है कि श्रीलंका के पूर्व राष्‍ट्रपति ने देश आने की मंजूरी मांगी थी। थाई सरकार ने अपने बयान में कहा है कि मानवीय आधार पर 73 साल के राजपक्षे को विजिटिंग वीजा दिया गया है। खास बात यह है कि थाईलैंड का वीजा सशर्त दिया गया है। थाइलैंड सरकार के मुताबिक, राजपक्षे यहां रहकर किसी दूसरे देश में स्थायी शरण पाने के लिए कोशिश कर सकते हैं, लेकिन वह यहां से श्रीलंका से जुड़ी किसी राजनीतिक सक्रियता में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। यह माना जा रहा है कि राजपक्षे बैंकाक में 90 दिन रह सकते हैं। मालदीव और मारिशस ने उन्हें राजनीतिक शरण देने के मामले में अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।

    राजपक्षे ने परिवार के साथ 13 जुलाई को श्रीलंका छोड़ा

    गौरतलब है कि श्रीलंका में अपने खिलाफ भड़के असंतोष के बाद राजपक्षे परिवार के साथ 13 जुलाई को श्रीलंका छोड़ दिया था। इसके बाद वह सिंगापुर पहुंचे। यहीं से उन्होंने अपने पद से इस्तीफे का मेल किया था। सिंगापुर ने दो बार में उन्हें 28 दिन रहने की मंजूरी दी। इसके बाद इसे बढ़ाने से इनकार कर दिया। श्रीलंका के कई संगठनों ने सिंगापुर से राजपक्षे के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा था। हालांकि, इसके पहले ही उन्होंने यह देश छोड़ दिया। राजपक्षे को सत्ता से उखाड़ने के लिए इस जन आंदोलन का अंतिम चरण जुलाई के पहले हफ्ते में शुरू हुआ था। 9 जुलाई को आम जनता ने राष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री आवास पर कब्जा जमा लिया था। जनआंदोलन के बाद गोटबाया अपना सरकारी आवास छोड़कर भाग खड़े हुए। 13 जुलाई को परिवार समेत गोटबाया पहले मालदीव भागे। इसके बाद सिंगापुर पहुंचे। इसी दिन श्रीलंका में फिर से इमरजेंसी लगा दी गई।