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Coup in Niger: सिर्फ चावल और पास्ता खाकर जिंदगी गुजार रहे इस देश के राष्ट्रपति, पढ़ें क्यों हुए ऐसे हालात

Coup in Niger सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार नाइजर के राष्ट्रपति ने अपने दोस्त से फोन के जरिए बातचीत करते हुए अपनी पीड़ा बताई। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने खाना और दवा नहीं दिया जा रहा। वो बिना बिजली के एक हफ्ते से रह रहे हैं। उन्होंने आगे जानकारी दी कि वो सिर्फ चावल और पास्ता खाकर जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं।

By AgencyEdited By: Piyush KumarPublished: Thu, 10 Aug 2023 08:47 AM (IST)Updated: Thu, 10 Aug 2023 08:47 AM (IST)
नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को उनके ही घर में नजरबंद कर लिया गया है।(फोटो सोर्स: एपी)

नियामी, रॉयटर्स। Coup in Niger। अगर किसी देश के राष्ट्रपति को सूखे चावल खाकर जिंदगी का गुजारा करना पड़े, तो जरा सोचिए कि उस देश की हालत क्या होगी। कुछ दिनों पहले हुए नाइजर में तख्तापलट के बाद मिलिट्री जुंटा ने राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम (Mohamed Bazoum) की सरकार को उखाड़ फेंका। वहीं, राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को उनके ही घर में नजरबंद कर हिरासत में ले लिया गया।

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सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, नाइजर के राष्ट्रपति ने अपने दोस्त से फोन के जरिए बातचीत करते हुए अपनी पीड़ा बताई। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने अच्छा खाना और दवा नहीं दिया जा रहा। वो बिना बिजली के एक हफ्ते से रह रहे हैं। उन्होंने आगे जानकारी दी कि वो सिर्फ चावल और पास्ता खाकर जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं।

राष्ट्रपति की हालत पर एंटोनियो गुटेरेस ने जताई चिंता

संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने बुधवार को एक बयान में कहा, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम और उनके परिवार की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई है। एंटोनियो गुटेरेस का मानना है कि उन्हें और उनके परिवार को तत्काल और बिना शर्त के रिहा कर दिया जाए

 मिलिट्री जुंटा पर जनता का भरोसा

भले ही अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम की पैरवी कर रहे हैं। लेकिन,  नाइजर देश की जनता  मिलिट्री जुंटा का समर्थन कर रही है। लोगों का मानना है कि पश्चिमी देशों का समर्थन करने वाली सरकार ने देश का विकास नहीं किया है।

दरअसल, नाइजर की अर्थव्यवस्था काफी चरमरा चुकी है। दो जून की रोटी के लिए नाइजर की जनता को संघर्ष करना पड़ा रहा है। लोग बिजली के बिना कई दिनों तक रहने के लिए मजबूर हैं।


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