कोरोना वायरस: लैटिन भाषा में 'वायरस' का मतलब होता है 'जहर'
वायरस यानी जहर लैटिन भाषा में इस शब्द का यही मायने है। ये सूक्ष्म विषाणु जीवित कोशिकाओं में पहुंचकर अपनी संख्या आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाकर उसे संक्रमित कर देते हैं।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के दुनिया में पांव पसारने के बाद कई लोग वायरस का मतलब जानना चाह रहे हैं। वैसे तो आम लोगों को वायरस का मतलब कीटाणु ही मालूम है मगर लैटिन भाषा में इसका मतलब सिर्फ जहर से है। यदि लैटिन भाषा के अनुसार बात करें तो ये वायरस एक तरह का जहर है। जो इसकी चपेट में आ रहा है उसकी मौत निश्चित मानी जा रही है। जिन लोगों का इम्युनिटी सिस्टम ठीक है या उनको समय पर इलाज मिल जा रहा है वो तो इस वायरस की चपेट में आने के बाद भी बच जा रहे हैं मगर जिनका इम्युनिटी सिस्टम ठीक नहीं है वो इससे बच नहीं पा रहे हैं।
कोरोना ने अब तक दुनिया में लगभग 11 लाख लोगों को प्रभावित किया है। 55 हजार से अधिक लोग इस संक्रमण का शिकार होकर मर चुके है। एक लाख से अधिक लोग ठीक हुए हैं। दुनिया का शायद ही कोई हिस्सा हो जहां पर इस वायरस का प्रकोप न दिख रहा हो। वायरस ने लोगों की जान लेने के साथ-साथ आर्थिक क्षति भी पहुंचाई है। कई देशों की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है। लाखों लोगों की नौकरियां भी चली गई हैं। अभी कई देशों में लॉकडाउन के हालात है। ये भी कहा जा रहा है कि जब लॉकडाउन खुलेगा उसके बाद कई महीनों तक स्थिति को नार्मल करने में लग जाएगा।
उधर देश में कुछ तबकों ने कोरोना वायरस को फैलाने में भी भूमिका निभाई, दिल्ली में तब्लीगी समाज इसका केंद्र बनकर उभरा तो एनसीआर के नोएडा इलाके में एक कंपनी के कर्मचारियों के माध्यम से ये फैला। जानकारी होने पर अब इन सभी को क्वारंटाइन किया गया है।
वायरस यानी जहर लैटिन भाषा में इस शब्द का यही मायने है। ये सूक्ष्म विषाणु जीवित कोशिकाओं में पहुंचकर अपनी संख्या आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाकर उसे संक्रमित कर देते हैं। 1892 में रूसी वनस्पति शास्त्री दमित्री इवनोवास्की द्वारा लेख में एक ऐसे गैर बैक्टीरिया पैथोजेन का जिक्र करने और 1898 में डच माइक्रोबायलोजिस्ट मार्टिनस बीज रनिक द्वारा टोबैको मोजैक वायरस का पता लगाने के बाद पर्यावरण में
मौजूद लाखों वायरसों में से पांच हजार के बारे में व्यापक जानकारी पता की जा चुकी है। इन्हीं वायरसों में से एक
कोरोना वायरस एकदम नया है।
इसकी रोकथाम के लिए शारीरिक दूरी को एकमात्र रामबाण इलाज बताया जा रहा है। जो लोग इस नियम की अवहेलना कर रहे हैं वे इंसान की खाल में समाज के लिए किसी वायरस से भी ज्यादा खतरनाक हैं। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच भारत ने देशव्यापी लाकडाउन घोषित किया।
विशेषज्ञों का अनुमान था कि 21 दिन के लॉकडाउन में संक्रमण काबू में आ जाएगा। इस दौरान आए अधिसंख्य मामलों में या तो ट्रेवल हिस्ट्री निकली या वे किसी संक्रमित के सीधे संपर्क में रहे। सामुदायिक संक्रमण की बात नहीं आई। लेकिन दिल्ली के तब्लीगी जमात प्रकरण के सामने आने के बाद संक्रमित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ गई।
धर्म और दीन भी सिखाता है कि आपदा के समय उचित कदमों या सरकार के दिशा निर्देशों के प्रति न सिर्फ लोगों को जागरूक किया जाए बल्कि खुद भी उसका पालन करके समाज के सामने एक नजीर पेश की जाए। अफसोस, तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों ने इसका कतई पालन नहीं किया। ऐसे में तब्लीगी जमात की इस अन्यमनस्कता से देश के लोगों की जान के साथ हुए खिलवाड़ में दोषियों की पहचान आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।