COVID-19: सिंगापुर में कोरोना का कहर, 12 हजार से ज्यादा विदेशी कामगार संक्रमित
देश में अब तक 12 हजार से ज्यादा विदेशी कामगार कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें बड़ी संख्या भारतीयों की भी है। ...और पढ़ें

सिंगापुर, प्रेट्र। सिंगापुर में मंगलवार को कोरोना संक्रमण के 528 नए मामले सामने आए। इनमें आठ को छोड़कर सभी विदेशी कामगार हैं। देश में अब तक 12 हजार से ज्यादा विदेशी कामगार कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें बड़ी संख्या भारतीयों की भी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- कोरोना संक्रमितों की संख्या 14,951 हो गई
देश में संक्रमण के ज्यादातर मामले विदेशी कामगारों के रहने के लिए बनाई गई डॉरमिट्री से सामने आ रहे हैं। इन डॉरमिट्री में तीन लाख 23 हजार विदेशी कामगार रहते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में अब कोरोना संक्रमितों की संख्या 14,951 हो गई है।
मरीजों में सूंघने की क्षमता में कमी
कोरोना की चपेट में आने वाले जिन मरीजों में सूंघने की क्षमता में कमी का लक्षण देखने को मिलता है उनमें संक्रमण की तीव्रता अधिक नहीं मिली। इस लक्षण से यह पता लगाया जा सकता है कि किस मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना है। ये निष्कर्ष इंटरनेशनल फोरम आफ एलर्जी एंड राइनोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इसी जर्नल में कोरोना मरीजों के लक्षण के तौर पर स्वाद और सूंघने की अनुभूति खत्म होने के बात प्रकाशित हुई थी। उल्लेखनीय है अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फार डिसीज कंट्रोल ([सीडीसी)] ने सोमवार को स्वाद लेने और सूंघने में कमी समेत कोरोना के छह नए लक्षणों को मान्यता दी है।
कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी की शोध
कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के सैन डिएगो हेल्थ इन यूएस के वैज्ञानिकों के अनुसार जिन मरीजों में सूंघने की क्षमता कम हुई उन्हें बिना इस लक्षण वाले मरीजों की तुलना में अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत दस गुना कम महसूस की गई।
कोरोना के मरीजों का इलाज
इस अध्ययन की रिपोर्ट तैयार करने वाली सैन डिएगो हेल्थ की वैज्ञानिक कैरोल यान ने बताया कि इस समय स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वालों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि कोरोना के मरीजों का इलाज किस तरह कराया जाए। अगर उनमें लक्षण न के बराबर हैं तो क्या उन्हें सुरक्षित क्वारंटाइन के लिए घर भेज दिया जाए या अस्पताल में भर्ती कराया जाए? मरीजों की भी़़ड को देखते हुए अस्पतालों के लिए ये सवाल बेहद अहम हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार सूंघने की क्षमता में कमी से पता चलता है कि मरीज को कोरोना संक्रमण है।

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