Move to Jagran APP

खुले समुद्र में जैव विविधता की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों में सहमति, नए निकाय का होगा गठन

इस संधि के तहत समुद्र संरक्षण का प्रबंधन करने और खुले समुद्र में समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के लिए नए निकाय का गठन किया जाएगा। महासागरों में वाणिज्यिक गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव आकलन करने के लिए नियम भी बनाया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Sun, 05 Mar 2023 10:48 PM (IST)Updated: Sun, 05 Mar 2023 10:48 PM (IST)
खुले समुद्र में जैव विविधता की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों में सहमति,  नए निकाय का होगा गठन
100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि वार्ता में हुए शामिल

वाशिंगटन, एपी। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश खुले समुद्र में जैव विविधता की रक्षा के लिए संधि पर सहमत हुए हैं। न्यूयार्क में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि इस वार्ता में शामिल हुए। दो सप्ताह तक चली वार्ता के बाद सदस्य देशों के बीच शनिवार को संधि को लेकर सहमति बनी है। इस संधि के लिए कई वर्षों से चर्चाएं चल रहीं थी, लेकिन सदस्य देशों के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी।

loksabha election banner

समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के लिए नए निकाय का होगा गठन

यह संधि वर्ष 2030 तक विश्व के 30 प्रतिशत महासागरीय क्षेत्रों के संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन के संकल्प के क्रियान्वयन के लिए जरूरी है। समुद्री जीवविज्ञानी रेबेका हेल्म ने कहा, 'पृथ्वी की सतह के इस आधे हिस्से की रक्षा करना बेहद जरूरी है। महासागर विशेषज्ञ निकोला क्लार्क ने कहा, 'इस संधि लेकर बनी सहमति महासागरों की रक्षा करने का अवसर है। यह जैव विविधता के लिए बड़ी जीत है।

इस संधि के तहत समुद्र संरक्षण का प्रबंधन करने और खुले समुद्र में समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के लिए नए निकाय का गठन किया जाएगा। महासागरों में वाणिज्यिक गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव आकलन करने के लिए नियम भी बनाया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि वर्ष 1994 में लागू हुई थी। समुद्र के संसाधनों को आंतरिक जल, प्रादेशिक सागर और अनन्य आर्थिक क्षेत्र और खुले समुद्र में वर्गीकृत किया जाता है।

तटीय देशों को सभी प्राकृतिक संसाधनों की खोज

आंतरिक जल किसी देश की भूमि के किनारे पर होता है। इसके बाद प्रादेशिक सागर 12 समुद्री मील की दूरी तक होता है। प्रादेशिक सागर किसी देश का संप्रभु क्षेत्र है। विदेशी असैन्य एवं सैन्य जलयानों को कुछ शर्तों के तहत प्रवेश की अनुमति होती है। अनन्य आर्थिक क्षेत्र ( ईईजेड) 200 नाटिकल मील तक फैला होता है। इसमें तटीय देशों को सभी प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन का संप्रभु अधिकार होता है।

इसके बाद का समुद्री क्षेत्र खुला समुद्र होता है। इसमें राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जल क्षेत्रों में महासागरों का 95 प्रतिशत हिस्सा आता है। ये क्षेत्र बहुमूल्य पारिस्थितिकी, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, विज्ञानी और खाद्य सुरक्षा से संबंधित अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.