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    'दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता जरूरी', चीन की दादागिरी पर विदेश मंत्री जयशंकर की दो टूक

    Updated: Sat, 27 Jul 2024 08:52 PM (IST)

    एशिया महाद्वीप के अलावा समुद्र में भी चीन की बढ़ती दादागिरी को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईस्ट एशिया समिट (ईएएस) में चिंता जाहिर की। उन्होंने सुझाव दिया कि दक्षिण चीन सागर में संचार की समुद्री लाइनों को सुरक्षित करने के लिए एक ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। इस कदम पर जोर देते हुए जयशंकर ने भारत-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया।

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    चीन की बढ़ती दादागिरी को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईस्ट एशिया समिट (ईएएस) में चिंता जाहिर की।

    पीटीआई, विएंटियान (लाओस)। दक्षिण चीन सागर से होकर जा रहीं संचार लाइनों की सुरक्षा हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए आवश्यक हैं। इस समय ये चिंताजनक स्थिति में हैं। इनकी सुरक्षा होनी चाहिए। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लाओस की राजधानी विएंटियान में हो रही ईस्ट एशिया समिट (ईएएस) में कही है।

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    'हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए संचार लाइनें जरूरी'

    पूर्वी एशिया के देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में जयशंकर ने कहा, "दक्षिण चीन सागर से गुजर रहीं संचार लाइनों की सुरक्षा के लिए आचार संहिता बननी चाहिए। चीन के दावे के चलते यह सागर क्षेत्र हिंद और प्रशांत क्षेत्र के लिए बीते दस वर्षों से चिंता का विषय बना हुआ है। इस समुद्री क्षेत्र में आवागमन को लेकर चीन का पड़ोसी देशों के साथ अक्सर टकराव भी होता रहता है।"

    जयशंकर ने कहा, "ईएएस की प्रक्रिया के 2025 में 20 वर्ष पूरे हो जाएंगे। भारत ईएएस को मजबूत बनाने की दिशा में लगातार अपना योगदान देता रहेगा।" उन्होंने कहा, "भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के संगठन आसियान को प्रभावी बनाने के लिए उसे लगातार समर्थन दिया है।"

    'इसमें सभी देशों के हित जुड़े हैं'

    दक्षिण चीन सागर से गुजर रहीं संचार लाइनों के संबंध में जयशंकर ने कहा, "ये लाइनें हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, प्रगति और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये न केवल क्षेत्र के बंदरगाहों को आपस में जोड़े हुए हैं बल्कि नौसेनाओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इन लाइनों की सुरक्षा के लिए आचार संहिता बननी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन होना चाहिए। इसमें सभी देशों के हित जुड़े हुए हैं।"

    जयशंकर ने यह बात तब कही जब समिट में चीन के विदेश मंत्री वांग ई भी मौजूद थे। प्राकृतिक संसाधन संपन्न दक्षिण चीन सागर की जो भौगोलिक स्थिति है उसके चलते उस पर चीन की दावेदारी अंतरराष्ट्रीय टकराव का कारण बनती जा रही है।

    हिंद और प्रशांत महासागर के मध्य स्थित दक्षिण चीन सागर पूर्वी एशिया के देशों को शेष विश्व से जोड़ने वाले समुद्री मार्ग में पड़ता है। इसलिए दक्षिण-पूर्व एशिया के देश इस मार्ग पर आवागमन सुचारु रखने के लिए चीन के साथ समझौता करना चाहते हैं। लेकिन चीन फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं है। समिट में जयशंकर ने गाजा पट्टी में तनाव कम करने और संयम बरते जाने की भी आवश्यकता जताई है।