सूडान से जल्द घर लौट सकेंगे दूसरे देशों के नागरिक, सेना-आरएसएफ ने ईद पर तीन दिन के संघर्ष विराम का किया एलान
सेना-आरएसएफ ने ईद पर तीन दिन के संघर्ष विराम का किया एलान- अपने नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए दुनियाभर के देश थे चिंतित। आरएसएफ ने कहा कि विदेशी नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए हवाईअड्डों को आंशिक रूप से खोल दिया गया है।

खारतूम, रायटर। सूडान में छिड़े गृहयुद्ध के बीच सूडान सेना दूसरे देश के नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए तैयार हो गई है। सेना प्रमुख अब्देल फतेह अल-बुरहान का यह बयान आएसएफ प्रमुख मोहम्मद हमदान दगोला उर्फ हेमेदती के संघर्ष विराम के आश्वासन के बाद आया है। सेना और आरएसएफ ने संयुक्त रूप से ईद पर शुक्रवार से तीन दिन का संघर्ष विराम का एलान किया है। संघर्ष विराम के दौरान विदेशी नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए हवाई अड्डों को खोला जा सकेगा।
पूर्ण युद्धविराम का पालन
सूडान की सेना की ओर से शनिवार को जारी बयान में कहा गया कि अमेरिका समेत अन्य देश आगामी कुछ घंटों में अपने नागरिकों को खारतूम से सुरक्षित बाहर निकाल लेंगे। सेना ने बताया कि सऊदी अरब के नागरिकों को पोर्ट सूडान की ओर से पहले ही बाहर निकाला जा चुका है।
इसी तरह जार्डन भी अपने नागरिकों को बाहर निकालेगा। आरएसएफ प्रमुख हेमेदती ने शनिवार तड़के फेसबुक पर कहा कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस का फोन आया जिसमें उन्होंने पूर्ण युद्धविराम का पालन करने और मानवीय और चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
आरएसएफ ने कहा कि विदेशी नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए हवाईअड्डों को आंशिक रूप से खोल दिया गया है। बता दें कि शुक्रवार को ही अमेरिका ने कहा था कि अमेरिकी नागरिकों की निकासी के लिए सरकार मदद नहीं कर रही है और तकरीबन 16,000 अमेरिकी नागरिक सूडान में फंसे हुए हैं। बता दें कि सूडान में जारी गृहयुद्ध में अब तक 413 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके साथ 3,551 लोग घायल हो चुके हैं।
आरएसएफ ने अल-हुदा जेल पर किया हमला
सूडान की सेना ने शुक्रवार को बताया कि अर्द्धसैनिक बल आरएसएफ ने ओमदुर्मान स्थित देश की सबसे बड़ी जेल पर हमला कर दिया। कैदियों के वकीलों ने बयान में बताया कि आरएसएफ ने जबरन जेल को खाली कराया।
हालांकि आरएसएफ ने आरोपों को सिरे से नकार दिया। इधर, सूडान के चिकित्सक संघ ने शनिवार को बताया कि हिंसाग्रस्त इलाकों में स्थित दो तिहाई अस्पताल बंद पड़े हैं। वहीं कुछ अस्पतालों में पानी, बिजली और स्टाफ की कमी के कारण महज प्राथमिक उपचार ही दिया जा रहा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।