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    Uyghurs Muslim in China: चीन सरकार की खुली पोल, तिब्बती और उइगर मुस्लिम सांस्कृतिक नरसंहार के हो रहे हैं शिकार

    By Babli KumariEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jun 2022 04:09 PM (IST)

    चीन का चरित्र तिब्बत शिंजियांग के प्रति जो रहा है वह बेहद शर्मनाक है। आज भी अल्पसंख्यकों के प्रति चीन का रवैया बेहद अमानवीय और कायराना है। चीन लगातार उइगर जनजाति की भाषाई और सांस्कृतिक अस्मिता पर हमला कर रहा है।

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    अल्पसंख्यकों के प्रति चीन का रवैया बेहद अमानवीय और कायराना है

    नई दिल्ली, एएनआइ। शिंजियांग की उइगर जनजाति के साथ-साथ तिब्बत का चीन द्वारा नरसंहार साम्राज्यवादी नीति का प्रतीक है। चीन के शिंजियांग प्रांत में उइगर जनजाति अल्पसंख्यक है जिसकी भाषा, धर्म, परम्परा और संस्कृति पर चीन लगातार हमले कर रहा है। चीन के हमले से उइगर जनजाति डर के साए में जी रही है।

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    चीन का चरित्र तिब्बत, शिंजियांग के प्रति जो रहा है वह बेहद शर्मनाक है। आज भी अल्पसंख्यकों के प्रति चीन का रवैया बेहद अमानवीय और कायराना है। चीन लगातार उइगर जनजाति की भाषाई और सांस्कृतिक अस्मिता पर हमला कर रहा है। अपना वर्चस्व बढ़ाने के फिराक में चीन इस कदर पागल है कि उसे अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए पता ही नहीं है।

    चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रांत जो एक स्वायत्त प्रदेश है जहां उइगर भाषी लोग रहते हैं। उइगर तुर्की की एक जाति है जो शिंजियांग में अल्पसंख्यक है। इस जाति पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का हमला लगातार जारी है। चीन इस जाति की महिलाओं पर नसबंदी जैसे मानवविरोधी नियम भी थोपने की कोशिश कर रहा है। चीन की इस तरह की कार्रवाई किसी भी प्रकार की मानवीय गरिमा के खिलाफ है। चीन पूरी कोशिश कर रहा है कि इस जाति की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान मिटा दी जाए।

    यह जाहिर है कि 1950 के दशक से ही तिब्बत पर चीन का अवैध कब्जा बना हुआ है। इसके साथ ही बीजिंग लगातार इस समुदाय पर एक भाषा और एक संस्कृति थोपने का काम कर रहा है। 13 मई को ल्हासा में आल चाइना रिलिजियस सर्कल के सम्मेलन में भी चीन की एकीकरण की नीति का साफ असर दिखा। बच्चों के स्कूली शिक्षा में भी चीन अपनी बात पर खरा नहीं है बल्कि द्विभाषिकता के नाम पर तिब्बत पर अपनी भाषा मंदारिन का आरोपण कर रहा है, मगर तिब्बत के बौध्द धर्म को दरकिनार कर रहा है। इस सम्मेलन में टीएआर अध्यक्ष यान सिंहल भी मौजूद थे।

    तिब्बत की जाति,धर्म, भाषा, परम्परा और पूरी संस्कृति पर चीन अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। दरअसल चीन चाहता है कि तिब्बत पर उसका पूरा शासन हो जाए, जिसके लिए चीन तिब्बत पर लगातार हमले कर रहा है। चीन की जो पापपूर्ण एकीकरण की अमानवीय नीति है वह लगातार जारी है। इस अवैध अभियान को पूरा करने के लिए चीन तिब्बत के प्राथमिक स्कूलों में भी भाषाई स्तर पर मंदारिन भाषा को लागू कर अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है।

    चीन के ही एक ब्यूरो के मुताबिक तिब्बती और हान-वन परिवार" नामक एक चीनी सरकारी परियोजना रेनबू काउंटी, शिगात्से शहर, तिब्बत में शुरू की गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस परियोजना का उद्देश्य गरीब लोगों को आर्थिक मदद और प्रशिक्षण के तहत सबल करना है। मगर यह भी कयास लगाया जा रहा है कि यह सारी गतिविधि मंदारिन भाषा में ही होगी। बच्चों का स्कूली माध्यम भी मंदारिन भाषा को तवज्जो देगा।

    सिंगापुर की रिपोर्ट के मुताबिक चीन लम्बे समय से योजनाओं और स्कूलों के बहाने से मंदारिन भाषा को तिब्बत पर थोप रहा है। इन सबके पीछे चीन की जो मंसा है वह तिब्बत की सांस्कृतिक परम्परा को मिटा कर पापीकरण के तहत खुद शासक बन जाना है। चीन के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरजोर आलोचना होती रही है मगर चीन अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा।