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    संयुक्त राष्ट्र में तिब्बत को लेकर चीन की आलोचना, अमेरिका समेत कई देशों ने प्रतिबंधों पर जताई चिंता

    संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 48वें सत्र के दौरान तिब्बत में पाबंदियों के लिए चीन पर निशाना साधा है। अमेरिका डेनमार्क जर्मनी और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने क्षेत्र में चीनी सरकार द्वारा लगाए गए धार्मिक भाषाई और सांस्कृतिक परंपराओं पर गंभीर प्रतिबंधों पर चिंता व्यक्त की है।

    By TaniskEdited By: Updated: Thu, 30 Sep 2021 07:32 PM (IST)
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    संयुक्त राष्ट्र में तिब्बत को लेकर चीन की आलोचना।

    जेनेवा, एएनआइ। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 48वें सत्र के दौरान तिब्बत में पाबंदियों के लिए चीन पर निशाना साधा है। अमेरिका, डेनमार्क, जर्मनी और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने क्षेत्र में चीनी सरकार द्वारा लगाए गए धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक परंपराओं पर गंभीर प्रतिबंधों पर चिंता व्यक्त की है। सत्र के दौरान अमेरिका ने चीन द्वारा किए जा रहे आर्थिक शोषण, प्रणालीगत नस्लवाद और सांस्कृतिक विरासत पर प्रहार को लेकर निशाना साधा। साथ ही तिब्बत में धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक परंपराओं पर चीन के गंभीर प्रतिबंधों पर चिंता व्यक्त की।

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    इस बीच फ्रांस ने 26 सदस्य देशों और यूरोपीय संघ की ओर से चीन से मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दायित्वों का पालन करने के लिए आह्वान किया। इसमें अल्पसंख्यकों से संबंधित अधिकार शामिल हैं। विशेष रूप से तिब्बत, झिंजियांग और इनर मंगोलिया में। डेनमार्क के प्रतिनिधि ने चीन से उच्चायुक्त और अन्य स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को चल रहे मानवाधिकार संकटों की जांच के लिए सार्थक पहुंच प्रदान करने का आह्वान दोहराया। 

    नीदरलैंड के किंग्डम ने तिब्बत में प्रेस की स्वतंत्रता और धर्म की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के बारे में गंभीर चिंताओं को उल्लेख किया। स्विट्जरलैंड ने भी चीन द्वारा अल्पसंख्यकों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखने की आलोचना की और तिब्बती लोगों के अधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया। 

    दुनिया भर में राजनीतिक स्वतंत्रता के एक अध्ययन पर आधारित नवीनतम रिपोर्ट 'फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021: ए लीडरलेस स्ट्रगल फार डेमोक्रेसी' के अनुसार, तिब्बत को दुनिया में दूसरे सबसे कम मुक्त क्षेत्र के रूप में स्थान दिया गया है। तिब्बत पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार का शासन है। इसमें स्थानीय निर्णय लेने की शक्ति चीनी पार्टी के अधिकारियों के हाथों में है। 1950 में चीन के आक्रमण से पहले तिब्बत एक संप्रभु राज्य था, जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने उत्तरी तिब्बत में प्रवेश किया।