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    बाज नहीं आ रहा ड्रैगन, भारत से पंगा लेने के लिए श्रीलंका का फिर इस्तेमाल; अब हंबनटोटा बंदरगाह को 99 तक लीज पर लिया

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Fri, 17 Jan 2025 06:38 AM (IST)

    दिसानायके जब विपक्ष में थे उस दौरान हंबनटोटा बंदरगाह के दीर्घकालिक पट्टे के सौदे के आलोचक थे। चीन ने श्रीलंका में अत्याधुनिक तेल रिफाइनरी बनाने के लिए 3.7 अरब डॉलर निवेश की पेशकश की है। यह द्वीप राष्ट्र में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है। यह खबर भारत की चिंता बढ़ाने वाली है। भारत इस पर लगातार आपत्ति जताता रहा है।

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    चीन को हंबनटोटा बंदरगाह की मिली 99 साल की लीज (सांकेतिक तस्वीर)

    पीटीआई, बीजिंग। चीन ने वित्तीय पुनर्गठन योजना के बदले हिंद महासागर में रणनीतिक हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल की लीज पर हासिल करने में सफलता हासिल की है। चीन ने एक आर्थिक क्षेत्र बनाने के लिए दीर्घकालिक पट्टा भी हासिल कर लिया है।

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    यह खबर भारत की चिंता बढ़ाने वाली है। दिसानायके जब विपक्ष में थे उस दौरान हंबनटोटा बंदरगाह के दीर्घकालिक पट्टे के सौदे के आलोचक थे। चीन ने श्रीलंका में अत्याधुनिक तेल रिफाइनरी बनाने के लिए 3.7 अरब डॉलर निवेश की पेशकश की है। यह द्वीप राष्ट्र में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है।

    भारत ने जताई आपत्ति

    रिफाइनरी की क्षमता दो लाख बैरल होगी। अभी इसे लेकर कोई बयान नहीं आया है कि क्या श्रीलंका चीन के तथाकथित जासूसी जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह पर खड़ा करने की अनुमति देगा या नहीं। श्रीलंका द्वारा अपने बंदरगाहों पर जाने वाले इन जहाजों पर एक साल का प्रतिबंध पिछले महीने समाप्त हो गया और इसकी स्थिति के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। भारत इस पर लगातार आपत्ति जताता रहा है।

    श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके चीन की राजकीय यात्रा पर हैं। दिसानायके ने गुरुवार को चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग और नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के अध्यक्ष झाओ लेजी से मुलाकात की और चीनी कंपनियों से अधिक निवेश की वकालत की। एक दिन पहले दिसानायके ने चीनी समकक्ष शी चिनफिंग के साथ बातचीत की जिसके बाद दोनों पक्षों ने 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।

    चीन के निर्यात प्रतिबंधों से सौर और ईवी कंपनियों पर पड़ेगा असर

    इलेक्ट्रानिक्स, सौर और इलेक्टि्रक वाहन (ईवी) क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को प्रमुख कच्चे माल और मशीनरी के निर्यात पर चीन के प्रतिबंधों के कारण देरी और व्यवधान का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआइ ने कहा कि ये प्रतिबंध भारत द्वारा चीनी निवेश तथा वीजा पर लगाए गए प्रतिबंधों की जवाबी कार्रवाई हो सकते हैं।

    भारत संबंधी प्रतिबंध जल्द ही हट जाएंगे

    ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, 'इससे भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार युद्ध बढ़ने का भी संकेत मिलता है। हमें उम्मीद है कि भारत संबंधी प्रतिबंध जल्द ही हट जाएंगे, क्योंकि इनसे चीन को भी नुकसान होगा।'

    उन्होंने कहा कि ये भारत के इलेक्ट्रानिक्स, सौर और ईवी क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, लेकिन साथ ही ये चीन के अपने मैन्यूफैक्चरिंग और निर्यात के लिए भी हानिकारक हैं। जीटीआरआइ ने कहा, भारत विशेष रूप से चीन के निर्यात प्रतिबंधों के प्रति संवेदनशील है, क्योंकि इसके कई उद्योग चीनी मशीनरी, मध्यवर्ती वस्तुओं और घटकों पर निर्भर हैं।

    चीन से भारत का आयात 101.73 अरब डॉलर

    चीन से भारत का आयात 2023-24 में बढ़कर 101.73 अरब डॉलर हो गया जो 2022-23 में 98.5 अरब डालर था। सरकार ने 2020 में भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों के लिए किसी भी क्षेत्र में निवेश के लिए उसकी मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था।

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