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    दीपू चंद्र दास की बर्बर हत्या: कनाडा सांसद ने चेताया, बांग्लादेश में खुल रहा 'अंधेरा अध्याय'

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 10:22 PM (IST)

    बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ जारी हिंसा के बीच कनाडाई सांसद शुव मजूमदार ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू फैक्ट् ...और पढ़ें

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    बांग्लादेश में हिंदू दीपू चंद्र दास की क्रूर लिंचिंग पर कनाडाई सांसद की तीखी प्रतिक्रिया (फोटो- एक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ जारी हिंसा के बीच कनाडाई सांसद शुव मजूमदार ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू फैक्ट्री कर्मचारी दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा क्रूर लिंचिंग की घटना का जिक्र करते हुए इसे "उत्पीड़न का पैटर्न" बताया, जो अगस्त 2024 की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद से हजारों हमलों की याद दिलाता है।

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    मजूमदार ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से तत्काल जवाबदेही और हिंसा रोकने की मांग की, साथ ही बहादुर मुसलमानों की प्रशंसा की जो चरमपंथियों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। यह घटना बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर वैश्विक स्तर पर सवाल उठा रही है।

    उन्होंने हिंदू मजदूर दीपू चंद्र दास की "क्रूर लिंचिंग" का जिक्र किया, जिसे भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। हमले का एक दिल दहला देने वाला वीडियो वायरल हुआ, जिसमें सैकड़ों लोग एक कपड़ा कारखाने से बाहरनिकलकर दीपू को मुख्य सड़क पर घसीटते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में उसे बुरी तरह पीटा जा रहा है और बाद में उसकी हत्या कर दी गई। भीड़ ने उसके शव को एक पेड़ से बांधकर जला दिया।

    उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अगस्त 2024 की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद से "घरों, व्यवसायों, मंदिरों और पूजा स्थलों पर हमले; हत्याएं, यौन उत्पीड़न, अपहरण और जबरन विस्थापन" जैसी घटनाएं हो रही हैं, और "सैकड़ों घटनाएं 2025 में भी जारी रहेंगी"।

    मजूमदार ने तर्क दिया कि भले ही अंतरिम सरकार व्यक्तिगत कृत्यों की निंदा करती है और गिरफ्तारियों की घोषणा करती है, फिर भी उत्पीड़न का सिलसिला जारी है, जिसे स्थिर शासन के अभाव में उग्र तत्वों द्वाराबढ़ावा दिया जा रहा है।

    पिछले सप्ताह छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मृत्यु के बाद बांग्लादेश में अशांति की एक नई लहर देखने को मिली है। हादी उन सरकार विरोधी प्रदर्शनों का एक प्रमुख चेहरा थे, जिन्होंने शेख हसीना की सरकारको गिरा दिया था। पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारियों में से कुछ ने भारत के खिलाफ भी अपना गुस्सा जाहिर किया।