अफगानिस्तान का एक और तानाशाही फरमान, अब अफगानी विश्वविद्यालयों में महिला लेखिकाओं की किताबों पर प्रतिबंध
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों से महिलाओं द्वारा लिखी गई किताबों को हटा दिया है। प्रतिबंधित पुस्तकों की सूची में 600 से अधिक किताबें शामिल हैं। इनमें से कई किताबें महिलाओं ने लिखी हैं। तालिबान ने विश्वविद्यालयों को मानवाधिकार और लोकतंत्र से लेकर महिला अध्ययन तक के विषयों पर आधारित 18 पाठ्यक्रमों को भी बंद करने का निर्देश दिया है।

न्यूयार्क टाइम्स, न्यूयॉर्क। अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों से महिलाओं द्वारा लिखी गई किताबों को हटा दिया है। प्रतिबंधित पुस्तकों की सूची में 600 से अधिक किताबें शामिल हैं। इनमें से कई किताबें महिलाओं ने लिखी हैं।
किताबों को शरिया के खिलाफ बताकर प्रतिबंधित
तालिबान ने विश्वविद्यालयों को मानवाधिकार और लोकतंत्र से लेकर महिला अध्ययन तक के विषयों पर आधारित 18 पाठ्यक्रमों को भी बंद करने का निर्देश दिया है। 200 से अधिक अन्य पाठ्यक्रमों की समीक्षा की जा रही है। तालिबान सरकार ने इन किताबों को शरिया के खिलाफ बताकर प्रतिबंधित किया है।
तालिबान के उच्च शिक्षा उप मंत्री द्वारा विश्वविद्यालयों को लिखे गए पत्र में इस निर्देश की घोषणा की गई। यह पत्र अगस्त के अंत में लिखा गया था और इसे गुरुवार को इंडिपेंडेंट फारसी ने प्रकाशित किया।
यह प्रतिबंध आपराधिक कृत्य है
अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा में मदद करने के लिए काम करने वाले ब्रिटिश समूह, राहेला ट्रस्ट की निदेशक राहेला सिद्दीकी ने कहा कि यह प्रतिबंध आपराधिक कृत्य है। इसका असर समाज पर भी पड़ेगा, क्योंकि ये किताबें उन विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा थीं।
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